नई दिल्ली, जागरण प्राइम। अठारहवीं लोकसभा के पांच चरण के लिए मतदान हो चुके हैं। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जा रही है। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। हम इस अंक में चर्चा देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा और इससे जुड़ी चुनौतियों की करेंगे। सुरक्षा के क्षेत्र में आजादी से अब तक की उपलब्धियों और आज की चुनौतियों पर हमने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी से बात की।

भारत सरकार डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत अभियान चला रही है। देश के डिफेंस सेक्टर को और सशक्त बनाने के साथ ही नई तकनीक और इनोवेशन पर तेजी से काम चल रहा है। आज देश में लग रहे स्टार्टअप सेनाओं को नई पीढ़ी का साजो-सामान उपलब्ध करा रहे हैं। भारत सरकार ने भी डिफेंस सेक्टर में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीमें शुरू की हैं। इसे आप कैसे देखते हैं ?

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में किसी अन्य देश पर निर्भरता अच्छी नहीं है। वहीं अगर हम देश के डिफेंस सेक्टर की बात करें तो यहां आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी हो जाती है। केंद्र सरकार इस दिशा में काफी अच्छा काम कर रही है। मुश्किल के समय या युद्ध के समय दुनिया के अन्य देशों से हमें अपनी जरूरत का सामान जैसे हथियार या किसी अन्य तरह के उत्पाद मंगाना बेहद मुश्किल हो जाता है। वहीं जो देश ये समान देने को भी तैयार होता तो उसके लिए कई गुना कीमत मांगता है।

अगर हम 1962 के चीन युद्ध की बात करें तो उस समय हमें दुनिया का कोई भी देश हथियार या युद्ध के लिए जरूरत का सामान देने को तैयार नहीं था। वहीं कारगिल युद्ध की बात करें तो उस समय भी हम अपने देश के जवानों के लिए ताबूत भी आयात करने वाले थे। रक्षा क्षेत्र में अन्य देशों पर निर्भरता युद्ध के समय आपकी जीत की संभावना को कमजोर करती है। युद्ध के समय दुश्मन देश अन्य देशों को आपको सामान देने से रोक सकता है। ऐसे में आत्मनिर्भरता या मेक इन इंडिया अभियान बेहद जरूरी हो जाता है। देश के लोगों को भी भारतीय उत्पादों के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर देना चाहिए।

लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि 1991 में भारतीय सेना में अधिकारी के तौर पर भर्ती हुआ। उस समय सेना में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर हथियार विदेशों से आयात किए हुए थे। मेरे मन में बार बार सवाल आता था कि भारत अपने हथियार खुद क्यों नहीं बनाता। लेकिन पिछले 10 सालों में भारत में रक्षा क्षेत्र की क्षमता काफी बढ़ी है।

आज आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत किए जा रहे प्रयास काफी सफल हुए हैं। हमने पिछले वित्तीय वर्ष में 21 हजार करोड़ रुपये के हथियार निर्यात किए हैं। आज हम दुनिया के 23वें सबसे बड़े हथियार निर्यातक देश हैं। आज भारत 85 देशों को हथियार निर्यात कर रहा है।

किसी भी देश को अपनी सैन्य शक्ति में सक्षम होना है तो उसे मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स बनाना होगा। हम रूस, अमेरिका, चीन या किसी भी देश का उदाहरण लें, इन देशों में मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स काफी मजबूत है। भारत में इस दिशा में पिछले 10 सालों में काफी अच्छा काम हुआ है। पिछले एक दशक में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत के प्रदर्शन को देख कर आज पूरी दुनिया चकित है।