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Haryana Politics: तीन निर्दलीय MLA ने छोड़ा साथ, क्या संकट में है नायब सरकार? जानिए क्या है मौजूदा सीटों का समीकरण

Haryana Politics हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में हरियाणा की सियासत में नया मोड़ आ गया है। प्रदेश में सीटों के समीकरण बदल गए हैं। मौजूदा वक्त में हरियाणा की दो सीटें खाली हैं। इसलिए अब प्रदेश की 88 सीटों पर सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 45 सीटें चाहिए।

By Prince Sharma Edited By: Prince Sharma Published: Wed, 08 May 2024 04:30 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 04:30 PM (IST)
Haryana Politics: तीन निर्दलीय MLA ने छोड़ा साथ, क्या संकट में है नायब सरकार

डिजिटल डेस्क, पंचकूला। Haryana Assembly Seats: साल के मार्च माह में हरियाणा में जजपा और भाजपा का गठबंधन टूट गया और प्रदेश में एक नए सिरे से निर्दलीय विधायकों के समर्थन से एक नई सरकार बनी। इस सरकार में तत्कालीन कुरुक्षेत्र सांसद नायब सैनी (Nayab Saini) ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

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सरकार दो माह ही चली थी कि अब एक बार फिर हरियाणा (Haryana Political Crisis) की सियासत में उठापटक शुरू हो गई है। बीते मंगलवार तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा से सपोर्ट खींच लिया। इन विधायकों ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है।

हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने भाजपा से समर्थन वापस लिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या प्रदेश में हरियाणा सरकार पर खतरा मंडरा रहा है?

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इसमें कोई दोराय नहीं कि निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थन वापस खींच लेने के बाद से हरियाणा में विधानसभा सीटों का गणित बिगड़ गया है। प्रदेश में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 90 है। बहुमत के लिए 46 आंकड़ा चाहिए होता है। क्योंकि प्रदेश की दो सीटें खाली हैं। इसलिए अब प्रदेश की 88 सीटों पर बहुमत हासिल करने के लिए सरकार को 45 सीटें चाहिए।

मौजूदा सीटों का गणित

वर्तमान में विधानसभा में 88 सीटें हैं। भाजपा के पास 40 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं। जजपा के पास 10 तो इनेलो (INLD) के पास एक सीट हैं। वहीं छह सीटों पर निर्दलीय विधायक हैं। हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक सीट है। 

भाजपा के पास वर्तमान में दो निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ-साथ हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक का समर्थन है। इस तरह देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास कुल 43 सीटें हैं यानी बहुमत से दो कम। 

वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं और भाजपा से आए तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। इस तरह कांग्रेस के पास 33 विधायक हैं। यानी बहुमत से 12 कम। इसके साथ ही इंडियन नेशनल लोकदल के पास एक सीट है। वहीं, जजपा के पास 10 सीटें हैं।

क्या गिर जाएगी नायब सरकार?

ऐसे में सवाल है कि क्या हरियाणा में नायब सरकार गिर जाएगी। इस बाबत हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता (Gyanchand Gupta) ने कहा कि जब अविश्वास प्रस्ताव आता है उसके छह महीने पश्चात ही अविश्वास प्रस्ताव (Haryana No confidence motion) लाया जा सकता है।

सरकार अल्पमत में है। ये नहीं कहा जा सकता। सरकार पूरी तरह इंटेक्ट है। सेशन बुलाने पर कहा कि राज्यपाल (Bandaru Dattatreya) फैसला करेंगे जो फैसला वो करेंगे वहीं मान्य होगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा इस बात का दावा कर रही है कि प्रदेश में नायब सरकार को कोई खतरा नहीं है।

लोग कांग्रेस की इच्छा पूरी नहीं करेंगे: नायब सैनी

हरियाणा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सिरसा में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब भी उनकी (कांग्रेस) सरकार को लोकसभा में कोई समस्या हुई। उन्होंने विशेष समूहों की इच्छाओं को पूरा करना शुरू कर दिया। सरकार अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है। लोग कांग्रेस की इच्छाओं को पूरा नहीं करेंगे। 

वहीं दूसरी ओर निर्दलीय विधायकों के पाला पलटने पर प्रदेश सरकार में गृह मंत्री रहे अनिल विज (Anil Vij) ने कहा कि हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) साहब को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। उनकी ख्वाहिश कभी भी पूरी होने वाली नहीं है। हरियाणा में ट्रिपल इंजन की सरकार है। जो पूरे मामले पर नजर गढ़ाए हुए है।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की भी प्रतिक्रिया सामने आई हैं। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हम क्या कर सकते हैं। लेकिन वे (कांग्रेस) अपनों को संभाल कर रखें। जिस दिन हिसाब खुल गया उस दिन इनको समझ में आएगा कि हमारे संपर्क में कितने विधायक हैं। उन्होंने कहा कि अगर अविश्वास प्रस्ताव भी लाएंगे तो वे (कांग्रेस) ही गिरेंगे।

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