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'जमशेदपुर में कानून का शासन है या नहीं?', अवैध निर्माण मामले पर हाईकोर्ट सख्त; डिप्टी कमिश्नर तलब

Illegal Construction Case जमशेदपुर में अवैध निर्माण के खिलाफ दाखिल याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के डिप्टी कमिश्नर को तलब किया है। अदालत ने पूछा है कि नक्शा होने के बाद भी विचलन क्यों किया गया और इसके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है? मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी।

By Manoj Singh Edited By: Shashank Shekhar Published: Tue, 30 Apr 2024 10:30 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 10:30 PM (IST)
'जमशेदपुर में कानून का शासन है या नहीं?', अवैध निर्माण मामले पर हाईकोर्ट सख्त; डिप्टी कमिश्नर तलब

राज्य ब्यूरो, रांची। Illegal Construction Case झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में जमशेदपुर में अवैध निर्माण के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के डिप्टी कमिश्नर को तलब किया है।

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अदालत ने उनसे पूछा है कि नक्शा होने के बाद भी विचलन क्यों किया गया और इसके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है? मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी। अदालत ने जांच कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि मौखिक रूप से कहा कि जमशेदपुर में कानून का शासन है भी या नहीं? बड़े पैमाने पर भवन निर्माण में अनियमितता व अवैध निर्माण पर लीपापोती क्यों की जा रही है।

अदालत को गुमराह करने की कोशिश न करें। अदालत ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) के अधिवक्ता से पूछा कि अब तक कुल कितने अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की गई है। अक्षेस की ओर से कहा गया कि अब तक कुल 62 भवनों पर नियमानुसार कार्रवाई की गई है।

राकेश कुमार झा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की

अदालत ने इससे संबंधित अद्यतन रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से अदालत में प्रस्तुत करने को कहा है। इस संबंध में राकेश कुमार झा की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। उनकी ओर से अधिवक्ता ने अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि अक्षेस की ओर से कोर्ट को गुमराह किया जा रहा है। एक भी भवन में न तो पार्किंग को बहाल किया गया है न ही नक्शा विचलन कर बने तल को हटाया गया है।

मामले में अदालत के द्वारा बनाई गई कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की। अदालत ने उस रिपोर्ट को रिकार्ड पर लिया है। प्रार्थी की अधिवक्ता ने संबंधित रिपोर्ट की मांग अदालत से की है। अदालत ने उन्हें रिपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। अदालत द्वारा बनाई गई जांच कमेटी में झारखंड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता आर एन सहाय, सुदर्शन श्रीवास्तव और पांडे नीरज राय शामिल हैं।

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