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Pakistan Auto Market खस्ताहाल! साल 2023 के बिक्री आंकड़े देख रह जाएंगे हैरान, कारोबार भी समेट रही कंपनियां

पाकिस्तानी ऑटोमोटिव बाजार के लिए साल 2023 काफी निराशाजनक रहा है। पाकिस्तान ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (PAMA) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2023 के दौरान देश में कुल 30662 कारें बेची गईं। 1000 सीसी से नीचे के सेगमेंट में अधिकतम बिक्री देखी गई जिसमें पूरे 2023 में 14584 ऐसे वाहन बेचे गए। Suzuki Bolan (Omni van) और Alto जैसे मॉडलों ने यहां सबसे मजबूत प्रदर्शन किया है।

By Ram Mohan Mishra Edited By: Ram Mohan Mishra Published: Fri, 09 Feb 2024 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2024 09:30 AM (IST)
PAMA के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023 के दौरान देश में कुल 30,662 कारें बेची गईं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तानी ऑटोमोटिव बाजार के लिए साल 2023 काफी निराशाजनक रहा है। पड़ोसी मुल्क की चरमराई अर्थव्यवस्था के बीच हाई परचेस प्राइस और कम सामर्थ की वजह से पैसेंजर वाहनों की सेल धड़ाम हो गई है। अधिकांश निर्माताओं ने अपने मॉडलों की बिक्री में गिरावट देखी है।

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पाकिस्तान में घटी सेल 

पाकिस्तान ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (PAMA) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023 के दौरान देश में कुल 30,662 कारें बेची गईं। 1,000 सीसी से नीचे के सेगमेंट में अधिकतम बिक्री देखी गई, जिसमें पूरे 2023 में 14,584 ऐसे वाहन बेचे गए।

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सबसे ज्यादा बिके ये मॉडल 

Suzuki Bolan (Omni van) और Alto जैसे मॉडलों ने यहां सबसे मजबूत प्रदर्शन किया है। 1,000 सीसी सेगमेंट में सुजुकी ने एक बार फिर Cultus (Celerio) और WagonR जैसे मॉडलों के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पिछले साल इस सेगमेंट में कुल मिलाकर 3,737 यूनिट्स बिकीं और 1,300 सीसी प्लस सेगमेंट में Honda City, Honda Civic, Suzuki Swift, Toyota Corolla और Toyota Yaris जैसी मजबूत कारों के साथ 12,341 यूनिट सेल की हैं।

सभी सेगमेंट में ये संख्याएं, 2022 के संबंधित बिक्री आंकड़ों का लगभग आधा थीं। कुल मिलाकर, 2022 में देश में 68,912 यूनिट कारें बेची गईं, जबकि 2023 में 30,662 यूनिट्स ही सेल हो पाईं।

पाक ऑटोमोटिव उद्योग खस्ताहाल 

पाकिस्तान में पूरा ऑटोमोटिव उद्योग संघर्ष कर रहा है और कार बाजार को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कारों की लगातार बढ़ती कीमतें, बार-बार उत्पादन कार्यक्रम के निलंबन के साथ-साथ स्थानीय मुद्रा के गिरते मूल्य का बिक्री पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ब्याज दरों के नई ऊंचाई छूने के कारण वित्त पोषण भी बचाव में नहीं आया है।

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