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    गलवन की हिंसक घटना के बाद भारत-चीन के बीच पहले जैसे नहीं रहेंगे संबंध- एक्‍सपर्ट की राय

    गलवन की घटना के बाद अमेरिका की निगाह भारत-चीन द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर लगी है। वहीं एक्‍सपर्ट मानते हैं कि इस घटना से चीन ने क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर दिया है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 17 Jun 2020 04:51 PM (IST)
    गलवन की हिंसक घटना के बाद भारत-चीन के बीच पहले जैसे नहीं रहेंगे संबंध- एक्‍सपर्ट की राय

    वाशिंगटन (पीटीआई)। लद्दाख की गलवन घाटी में चीन के साथ हुई भारतीय सेना के जवानों की झड़प में दो दर्जन जवानों की शहादत अब एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। 15-16 जून की रात हुई इस घटना के बाद इस विवाद को बातचीत से सुलझाने की कवायद भी शुरू हो गई है। इस घटना के बाद मंगलवार को दिल्‍ली में उच्‍चस्‍तरीय बैठकों का दौर जारी रहा। इस मुद्दे पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। आपको बता दें कि 15-16 जून की घटना से पहले दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए सेना के उच्‍च अधिकारियों के बीच कई बार बातचीत हुई थी। गलवन में हुई घटना के बाद सीमा पर जो तनाव बना है उस पर अमेरिका की भी निगाहें लगी हुई है। हालांकि, कुछ जानकार मानते हैं कि इस घटना के बाद दोनों देशों के संबंध पहले जैसे नहीं होंगे।

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    कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस (Carnegie Endowment for International Relations) के एशले जे टेलिस ने भारत-चीन तनाव पर कहा कि इस घटना के बाद असल सवाल भविष्‍य में दोनों देशों के संबंधों को लेकर उठ खड़ा हुआ है। उनके मुताबिक, दोनों ही देशों के नेता हर तरह की परेशानी, तनाव और दुश्‍मनी के बावजूद संबंधों को बनाए रखना चाहते हैं। ऐसे में उनकी किस तरह से मदद की जा सकती है, जबकि सीमा पर विवाद गहराया हुआ है और बिना किसी हथियार के भी वहां पर सैनिकों की जान जा रही है। उन्‍होंने कहा कि बीते 24 घंटे के दौरान जो कुछ भी हुआ उसने काफी कुछ बदल दिया है। इसकी वजह है कि दोनों ही तरफ से जवानों की मौत इस घटना के दौरान हुई है। उनके मुताबिक, इस घटना के बाद दोनों देशों के संबंध दोबारा पहले जैसे कभी नहीं होंगे।

    काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन के एलेसा आयरेस (Alyssa Ayres) के मुताबिक, भारत-प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण एशिया की बड़ी भूमिका है और इसको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। आयरेस के अलावा अमेरिकी सिनेटर मार्शा ब्‍लैक बर्न ने कहा कि हम अभी उस दिन हुई घटनाओं की सिलसिलेवार रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उनके मुताबिक, पीएलए के इस तरह के आक्रामक पैंतरेबाजी से भारत के साथ-साथ नेपाल भी प्रभावित हुआ है। इसकी वजह से पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा पैदा हुआ है। इसकी वजह से तिब्‍बत में जहां पर चीन दशकों से शासन कर रहा है वहां पर सैन्‍य शक्ति बढ़ाने का जरिया मिल जाएगा। भारत-चीन पर अमेरिकी एक्‍सपर्ट का कहना है कि चीन की सेना द्वारा की गई इस तरह की आक्रामक कार्रवाई से पूरे क्षेत्र में खतरा बढ़ गया है।

    अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता के मुताबिक, भारत-चीन के बीच सीमा पर खराब होते हालातों पर करीब से निगाह रखी जा रही है। प्रवक्‍ता ने सीमा पर हुई घटना में शहीद हुए भारतीय जवानों पर शोक व्‍यक्त करते हुए उनके परिजनों को सांत्‍वना दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता की तरफ से ये भी कहा गया है कि भारत और चीन दोनों ही सीमा पर तनाव को और‍ अधिक बढ़ाना नहीं चाहते हैं। अमेरिका भी मौजूदा समस्‍या का हल बातचीत से ही चाहता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को भारत-चीन के वर्तमान हालातों की जानकारी दी थी। दोनों ही नेताओं ने इस बात विचारों का आदान-प्रदान भी किया था। 

    अमेरिकी मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना में 35 चीनी सैनिक जिसमें एक सीनियर रैंक का सैन्‍य अधिकारी शामिल है, मारा गया है। अमेरिकी खुफिया विभाग के मुताबिक, चीन ने अपने सैनिकों के इस घटना में मारे जाने की खबर को इसलिए छिपाया हुआ है, क्‍योंकि उसको लगता है कि इससे उसकी सेना का तिरस्‍कार हो जाएगा।

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