उत्तर कोरिया ने उड़ाया ज्वाइंट लाइजन ऑफिस, दक्षिण कोरिया के विशेष दूत का ऑफर भी ठुकराया
उत्तर कोरिया ने अपनी सीमा में बना ज्वाइंट लाइजन ऑफिस को उड़ाकर ये जताने की कोशिश की है कि अब शांति का मार्ग बंद हो चुका है।
सियोल (रॉयटर्स)। उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच लगाातर तनाव गहराता जा रहा है। उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है जिसमें उनकी तरफ से एक विशेष राजदूत भेजकर विवाद और तनाव को खत्म करने की कोशिश की बात कही गई थी। उत्तर कोरिया ने सीमा पर सेना के जवानों की तैनाती को बढ़ाने की बात कर तनाव को और अधिक बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं उत्तर कोरिया ने अपने यहां केंसॉन्ग इंडस्ट्रियल कॉम्प्लैक्स में बना हुआ ज्वाइंट लाइजन ऑफिस भी नष्ट कर दिया है।
रॉयटर्स ने केसीएनए के हवाले से कहा है इस ऑफिस को वर्ष 2018 में बनाया गया था, जिसे एक दिन पहले ही उड़ा दिया गया। इस ऑफिस को दोनों देशों के सर्वोच्च नेताओं के बीच बनी सहमति और समझौते के बाद बनाया गया था। एजेंसी के मुताबिक दोनों देशों के बीच हुए शांति समझौतों को रद करने जैसा कोई भी कदम दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन के उन प्रयासों को झटका देने में सहायक साबित होगा जो उनकी तरफ से किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं ये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयासों को भी मुश्किल बना देगा।
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया ने सोमवार को अपने नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर चुग ऊई योंग और खुफिया प्रमुख सू हून को विशेष राजदूत बनाकर उत्तर कोरिया भेजने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उनके इस प्रस्ताव को उत्तर कोरिया के प्रमुख की बहन किम यो जोंग ने खारिज करने में कोई देर नहीं लगाई। उन्होंने इस प्रस्ताव को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि ये अव्यवहारिक और भयावह है। उन्होंने खुद दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून की जमकर आलोचना की है। उनका कहना है कि मून वर्ष 2018 में दोनों देशों के बीच हुए समझौतों को लागू करने में नाकाम साबित हुए हैं। उन्होंने केवल अमेरिका की चापलूसी करने का काम किया है।
वहीं दूसरी तरफ दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के ऑफिस ब्लू हाउस की तरफ से जारी एक बयान में मून की आलोचना करने को गलत और मूर्खतापूर्ण बताया गया है। इस बयान में कहा है कि इस तरह के बयान ने दोनों देशेां के बीच बने विश्वास को खत्म करने का काम किया है। इस बयान में ये भी कहा गया है कि दक्षिण कोरिया इस तरह के बेबुनियाद और बेवजह के दिए गए बयानों को लंबे समय तक बर्दाश्त करने वाला नहीं है। हालांकि ब्लू हाउस के प्रवक्ता ने विस्तार से इसके मायने समझाने से इनकार कर दिया।
केसीएनए की तरफ से कहा दक्षिण कोरिया की आलोचना करते हुए कहा गया है कि मौजूदा तनाव केवल दक्षिण कोरिया की नाकामी और लापरवाही का नतीजा है। इसलिए उचित कीमत चुकाकर ही इसको खत्म किया जा सकता है। उत्तर कोरियाई सरकार के मुख पत्र रोडॉन्ग सिनमुन ने लाइजन ऑफिस के नष्ट होने से पहले और बाद की तस्वीरों को भी प्रकाशित कर इस बात की पुष्टि की है कि ये अब तबाह कर दिया गया है। इसमें छप लेख में दक्षिण कोरिया की जमकर आलोचना की गई है।
बुधवार को उत्तर कोरियाई सेना के प्रवक्ता ने कहा कि माउंट कुमगांग और केसॉन्ग के पास लगती सीमा पर अतिरिक्त जवानों को भेज दिया गया है। यहां पर दोनों देशों के बीच ज्वाइंट इकनॉमिक प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। प्रवक्ता ने ये भी कहा है कि डीमिलिट्राइज्ड जोन में से जो पुलिस चौकियां पहले हटा ली गई थीं उन्हें दोबारा वहां पर स्थापित किया गया है। इसके अलावा सेना की आर्टिलरी यूनिट को भी उन जगहों पर तैनात किया गया है जहां पर लगातार उत्तर कोरिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि अमेरिका के साथ उत्तर कोरिया की वार्ता शुरू करने के लिए दक्षिण कोरिया ने काफी मेहनत की थी। दोनों देशों के बीच वर्ष 2017 के दौरान हुइ तीखी बयानबाजी के बाद वर्ष 2018 में इन दोनों नेताओं के बीच पहली बार वार्ता की शुरुआत हुई थी। हालांकि इस दौरान हुई मुलाकातों का कोई नतीजा नहीं निकला और दोनों ही नेता अपनी-अपनी मांगों पर अड़े रहे थे। इसके बावजूद उत्तर कोरिया और अमेरिका समेत दक्षिण कोरिया से तनाव में काफी राहत मिली थी।
सोमवार को इंटर कोरियन समिट की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर जो भाषण दिए गए उसमें कहा गया कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया से हुई वार्ताओं का उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं निकला। इसमें ये भी अपील की गई कि उत्तर कोरिया शांति और बातचीत के दरवाजे खुले रखे। इस दौरान दक्षिण कोरिया के पूर्व न्यूक्लियर राजदूत चुन युंग-वू ने कहा कि दोनों ही देशों के प्रमुखों ने इन शांति वार्ताओं से काफी कुछ झूठी उम्मीदें लगा रखी थी। इसमें एक उम्मीद ये भी थी कि अमेरिकी दबाव के चलते दोनों ही देश संबंधों को आगे ले जाने में सफल हो सकेंगे। लेकिन अब जबकि अमेरिका से बातचीत को दो वर्ष बीत गए हैं तो कुछ भी हाथ नहीं लगा है।
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