उच्च हिमालय के अपने-अपने धाम में विराजे द्वितीय व चतुर्थ केदार
पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाजों के साथ खोल दिए गए हैं। ...और पढ़ें

रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर और चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ गुरुवार को विधि-विधान पूर्वक उच्च हिमालय में स्थित अपने-अपने धाम में विराजमान हो गए। कपाटोद्घाटन पर द्वितीय केदार में करीब 300 और चतुर्थ केदार में 2500 से अधिक भक्तों ने भगवान शिव के अलग-अलग रूपों के दर्शन किए।
गुरुवार सुबह 6.30 बजे पुजारी राजशेखर ङ्क्षलग के सानिध्य में भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली ने गौंडार से भक्तों की जय-जयकार के बीच अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया। सुबह ठीक 10.30 बजे उत्सव डोली के मद्महेश्वर धाम पहुंचने पर मंदिर समिति, प्रशासन व स्थानीय श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर उसका स्वागत किया।
डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा की और फिर ठीक 11 बजे पौराणिक रीति-रिवाज के साथ श्री मद्महेश्वर मंदिर के सीलबंद कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। पुजारी राजशेखर लिंग ने भगवान की मूर्ति को मंदिर में विराजमान कर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की। भगवान को भोग लगाने के बाद श्रद्धालु उनके दर्शन करने लगे।
उधर, चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में तड़के तीन बजे पुजारी जनार्दन प्रसाद तिवारी ने पूजा-अर्चना के बीच कपाट खोलने की प्रक्रिया आरंभ की। ठीक चार बजे हल्की बारिश के बीच मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। इससे पूर्व, पवित्र नारद कुंड से जल लाकर श्रद्धालुओं ने बाबा रुद्रनाथ का अभिषेक किया। कपाटोद्घाटन के लिए उम्मीदें ग्रुप की ओर से मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया गया था। ग्रुप के संयोजक मनोज तिवारी ने बताया कि मंदिर में दिनभर भंडारे का आयोजन भी किया गया।

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