पांडव नृत्य में बाणों का कौथिग रहा आकर्षण का केंद्र
भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव में चल रही पांडव लीला में बाणों का कौथिग लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। इसे देखने दूर-दराज से ग्रामीण पहुंचे। पांडव नृत्य का समापन दो दिसंबर को होगा।
रुद्रप्रयाग, [जेएनएन]: भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव में आयोजित किए जा रहे पांडव नृत्य को देखने के लिए आसपास के गांवों के ग्रामीण उमड़ रहे हैं। इस दौरान बाणों का कौथिग लोगों के मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा।
एकादशी पर्व 11 नवंबर से अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल पर गंगा स्नान के बाद से ग्राम पंचायत दरमोला के तरवाड़ी गांव में पांडव नृत्य का आयोजन शुरू हो गया था।
पढ़ें-उत्तराखंड सरकार की उपेक्षा झेल रहे बाबा भोले के दो धाम
आज सुबह ग्रामीणों ने भगवान बदरी विशाल एवं अन्य देवताओं को पूरी प्रसाद एवं खीर का भोग लगाया। पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी ने पांडव के अस्त्र-शस्त्रों के साथ देव निशानों की विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान पांडव पश्वा ने नृत्य के स्थान के चारों कोनों की पूजा-अर्चना की।
पढ़ें:-शीतकाल के लिए तृतीय केदार के दर्शन अब मक्कूमठ में
इसके बाद ढोल सागर की ताल पर देवता अवतरित हुए। उन्होंने पांडवों को नृत्य करने की अनुमति दी। पुजारी ने पांडवों को उनके बाण एवं अन्य अस्त्र-शस्त्र दिए। इसके साथ ही पांडवों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य शुरू किया। बाणों का कौथिग का नृत्य तीन घंटे तक चला।
पढ़ें: यहां गिरा था देवी सती का सिर, देवी के दर्शन मात्र से दुख होते दूर
पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, तरवाडी, स्वीली, सेम, डुंग्री, जवाड़ी, मेदनपुर, रौठिया समेत कई दूर-दराज क्षेत्रों से ग्रामीण पहुंचे। इससे पूर्व भक्तों नेभगवान बद्रीनाथ एवं शंकरनाथ देवता को भेंट लगाकर दर्शन किए। साथ ही परिवार की खुशहाली की कामना भी की। पांडव नृत्य समिति तरवाड़ी के अध्यक्ष भोपाल सिंह पंवार ने बताया कि दो दिसंबर को पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा।
पढ़ें: सुबह बालिका, दिन में युवा और शाम को वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं मां धारी देवी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।