चीन की सरहद तक एक और कदम, फर्राटा भर सकेंगे वाहन
चीन सीमा तक जाने वाली सड़क पर चार नए पुल बन कर तैयार हो गए। सामरिक दृष्टि से यह बड़ी उपलब्धि है।
धारचूला, पिथौरागढ़ [जेएनएन]: यह गौरवान्वित होने का मौका है। वहां इसरो ने एक साथ 20 सेटेलाइट लांच कर अंतरिक्ष विज्ञान में नई इबारत लिखी तो यहां हमने चीन की सरहद तक एक और मजबूत कदम बढ़ा दिए। चीन सीमा तक जाने वाली सड़क पर चार नए पुल बन कर तैयार हो गए। सामरिक दृष्टि से यह बड़ी उपलब्धि है।
यह उपलब्धि इस लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अति दुर्गम और कच्चे पहाड़ी इलाके में दस हजार फिट की ऊंचाई पर गुंजी से कालापानी, नपल्च्यू से गुंजी के बीच, कलपू नाला और घटीपू नाला में नए पुलों का निर्माण करना सीमा सड़क संगठन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।
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तवाघाट से लिपूलेख तक 70 किमी सड़क बनाने का काम पिछले एक दशक से चल रहा है। इस सड़क का तीन चौथाई कार्य पूरा हो चुका है। गर्बाधार के निकट विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सड़क कटान का कार्य अभी किया जाना है।
इस हिस्से में चट्टान काटने की कामयाबी के बाद हमारे वाहन दिल्ली से चीन की सरहद तक फर्राटा भरते हुए पहुंच जाएंगे। अभी फिलहाल पुलों का निर्माण हो जाने से अब गुंजी से नाभीढांग तक की 36 किमी की यात्रा लोग वाहन से कर सकेंगे।
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कैलास मानसरोवर यात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए हेलीकाप्टर से इस क्षेत्र में वाहन उतारने का निर्णय लिया गया है। पूरी यात्रा गर्बाधार में सड़क का कटान पूरा हो जाने के बाद ही संभव होगी। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में अगले वर्ष तक सड़क का निर्माण पूरा करने का एलान किया है, जबकि सीमा सड़क संगठन ने वर्ष 2018 तक सड़क को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
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