महिलाओं को स्वावलंबन का पाठ पढ़ा रहीं पौड़ी की ये महिलाएं
पौड़ी की महिलाएं समूह के माध्यम से शहर में कैंटीन संचालित कर अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबन के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसके साथ ही गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ा है।
पौड़ी, [गुरुवेंद्र नेगी]: उद्योगविहीन पहाड़ में रोजगार की कमी और इससे पैदा होने वाले हालात किसी से छिपे नहीं हैं। खासकर तब, जब गांव के गांव या तो खाली हो चुके हैं या फिर खाली होने के कगार पर हैं। ऐसे दौर में बौंसरी गांव की महिलाओं ने न केवल गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ा है, बल्कि समूह के माध्यम से पौड़ी शहर में कैंटीन संचालित कर अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबन के लिए प्रेरित कर रही हैं।
मंडल मुख्यालय पौड़ी से करीब आठ किमी की दूरी पर है बौंसरी गांव। इस गांव की महिलाओं ने वर्ष 2006 में बैठक कर अपने इस अभियान को अमलीजामा पहनाया। उन्होंने स्वरोजगार को आर्थिकी से जोड़ने के लिए एक समूह का गठन किया, जिसे नाम दिया गया बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह।
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शुरूआत में सबने 50-50 रुपये इकट्ठा किए और धीरे-धीरे यह आंकड़ा दो-दो सौ रुपये तक पहुंच गया। समूह की किसी सदस्य को पैसों की जरूरत पड़ने पर इसी कोष से उसकी मदद भी की जाने लगी। इस मुहिम को तब और बल मिला, जब वर्ष 2014 में पौड़ी की तत्कालीन सीडीओ सोनिका की नजर समूह के कार्यों पर गई।
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उन्होंने ल्वाली गांव में एक बैठक कर न सिर्फ इन महिलाओं की पीठ थपथपाई, बल्कि उन्हें विकास भवन में आयोजित होने वाली बैठकों के दौरान बंद डिब्बा भोजन की व्यवस्था भी सौंप दी।
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आज समूह की अध्यक्ष सीमा देवी, सावित्री देवी, अंशी देवी, पूनम देवी, सरोजनी देवी मुख्यालय में इंदिरा अम्मा कैंटीन का बेहतर ढंग से संचालन कर रही हैं। इसी की परिणति है कि समूह की हर महिला प्रतिमाह पांच से छह हजार रुपये कमा लेती है।
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चौलाई के लड्डू बने स्वरोजगार का जरिया
गणतंत्र दिवस हो या अन्य कोई राष्ट्रीय पर्व, इस दौरान मिष्ठान के रूप में वितरित होने वाले चौलाई के लड्डू भी समूह से जुड़ी महिलाएं ही बनाती हैं। समूह की अध्यक्ष सीमा देवी बताती हैं कि अब तक विभिन्न कार्यक्रमों के लिए समूह डेढ़ क्विंटल चौलाई के लडडू बना चुका है। इससे समूह को 30 हजार से अधिक का फायदा हुआ।
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समूह का है अपना ड्रेस कोड
समूह की महिलाओं ने अनुशासन का परिचय देने के लिए समूह की महिलाओं के लिए बाकायदा ड्रेस कोड बनाया है। कैंटीन में सभी महिलाएं इस ड्रेस कोड का पालन करती हैं।
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एक-दूसरे की करते हैं मदद
समूह को होने वाली आय से महिलाएं एक-दूसरे की मदद भी करती हैं। समूह की अध्यक्ष सीमा देवी के मुताबिक उन्होंने स्वयं एक बार 30 हजार और दूसरी बार 50 हजार रुपये की मदद समूह से ली। इसके अलावा अन्य सदस्यों की भी इसी धनराशि से मदद की गई।
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महिलाओं की सराहनीय पहल
गढ़वाल मंडल के अपर आयुक्त हरक सिंह रावत के मुताबिक बौंसरी की महिलाओं ने समूह में चौलाई के लड्डू बनाने और बैठकों में बंद डिब्बा भोजन पहुंचाने की योजना पर कार्य किया। यह एक सराहनीय पहल है। जब मैं पौड़ी में सीडीओ था, तब मैंने समूह द्वारा संचालित कैंटीन का निरीक्षण भी किया। मैं समूह के कार्य से बेहद प्रभावित हूं।
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