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    ग्रामीणों ने तंत्र को दिखाया आइना, खुद ही तैयार कर दिए रास्ते

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 04 Sep 2016 07:00 AM (IST)

    आपदा से ध्वस्त हुए पौड़ी जनपद के पाबौ ब्लाक के आपदाग्रस्त मरोड़ा गांव के पैदल रास्तों को जब प्रशासन ने नहीं बनाया तो ग्रामीणों ने इसके लिए खुद कुदाल संभाली और रास्ते तैयर कर दिए।

    पौड़ी, [जेएनएन]: सरकारो ने भले ही पहाड़ को नियति के भरोसे छोड़ दिया हो, लेकिन वहां के लोगो की पहाड़ के प्रति संवेदनाएं खत्म नही हुई है। पाबौ ब्लाक का आपदाग्रस्त मरोड़ा इसकी बानगी है। 643 की जनसंख्या वाले इस गांव के लोगो का जीवन पटरी पर लौटे, इसके लिए आसपास के गांवो के लोग आगे आए और उन्होने तंत्र को आइना दिखाया है। इस कड़ी मे श्रमदान कर उन चार पैदल रास्तो को दुरुस्त किया गया, जिनके उपयोग गोशालाओ के साथ ही रोड हेड तक पहुंचने को किया जाता है। यही नही, गांव और इसके इर्द-गिर्द न सिर्फ सफाई अभियान चलाया गया, बल्कि लोगो को सजग भी किया गया।
    मरोड़ा गांव भी पौड़ी जिले के उन गांवो मे शामिल है, जहां कुदरत ने कोहराम मचाया। बीती 22 अगस्त को बादल फटने से हुए भारी नुकसान के चलते वहां जिंदगी पटरी से उतर गई। हालांकि, आपदा के बाद मौके पर पहुंचे प्रशासन के नुमाइंदो ने ग्रामीणो को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया, लेकिन फिर उन्हे अपने हाल पर छोड़ दिया गया। खासकर आवाजाही के लिए पैदल रास्तो को दुरुस्त करने के मामले मे।

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    दरअसल, आपदा मे गांव को जोड़ने वाले सभी छह रास्ते जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गए थे। नतीजतन, ग्रामीणो को दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है। बच्चो को भी लोग जैसे-तैसे स्कूल भेज पा रहे थे।

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    ऐसे मे मरोड़ा के नजदीकी ग्राम उल्ली व थान के लोग आए रास्तो को दुरुस्त करने में जुट गए। सामाजिक कार्यकर्ता जनार्दन सिंह रावत और महावीर सिंह नेगी की अगुआई मे उल्ली व थान के 60 से अधिक ग्रामीणो ने न सिर्फ गाव को जोड़ने वाले चार मुख्य रास्तो को दुरुस्त किया, बल्कि मलबा भी हटाया। कुछेक स्थानो पर पुस्तो का निर्माण भी किया गया।

    इसके अलावा गांव मे साफ-सफाई अभियान भी चलाया गया। इस मौके पर प्रेम सिंह, दिलीप सिंह, रितु सिंह, प्रताप सिंह, कुंवर सिंह, सब्बी देवी, लक्ष्मी देवी, जसोदा देवी, थानी देवी सहित अन्य ग्रामीणो ने श्रमदान मे सहयोग दिया।

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