झुग्गियों में जला रहे शिक्षा की अलख, उठा रहे पढ़ाई का खर्च
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के शिक्षक डॉ. राकेश नेगी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के बीच शिक्षा की अलख जगाने में जुटे हैं। वह ऐसे बच्चों की पढाई खर्च भी उठा रहे।
श्रीनगर गढ़वाल, [एनके खंडूड़ी]: एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के शिक्षक डॉ. राकेश नेगी पिछले 11 माह से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों के बीच शिक्षा की अलख जगाने में जुटे हैं। विवि के राजनीति विज्ञान विभाग में संविदा पर तैनात राकेश ने कम मानदेय को भी कभी अपने इस संकल्प में बाधक नहीं बनने दिया। उन्हीं के प्रयासों का प्रतिफल है कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले 11 बच्चे अपने अभिभावकों से स्कूल जाने की हठ करने लगे हैं। अभिभावक भी इन बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं। इन्हें स्कूल में प्रवेश दिलाने के साथ उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा भी राकेश ने लिया है।
श्रीनगर के तिवाड़ी मोहल्ले के समीप अलकनंदा नदी के तट पर कूड़ा बीनने वाले परिवार झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहते हैं। इन परिवारों के बच्चे या तो कूड़ा बीनते हैं या फिर इधर-उधर भटकना ही उनकी दिनचर्या है।
शिक्षक डॉ. राकेश नेगी ने जब इन बच्चों देखा तो वे बहुत व्यथित हुए और इन्हें पढ़ाने का मन बना लिया। अपनी संस्था मानव विकास एवं विश्व शांति मिशन के माध्यम से उन्होंने नवंबर 2016 से झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर वहां सात से 12 साल आयु वर्ग के 11 बच्चों को पढ़ाने का कार्य शुरू किया। इसके लिए उन्होंने संस्था के सदस्यों का भी सहयोग लिया।
विवि में एमए राजनीति विज्ञान के छात्र विशाल ठाकुर, एमएसडब्ल्यू की सुनीता खत्री व रेनू पोखरियाल रोजाना दो घंटे इन बच्चों को पढ़ाने लगे। राकेश का यह प्रयास रंग लाया और बच्चों में स्कूल जाने की इच्छा जागृत होने लगी।
राकेश बताते हैं कि शुरुआत में बच्चों के अभिभावकों ने उन्हें पढ़ाने के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। लेकिन, छह महीने के प्रयासों के बाद अब वह बच्चों को स्कूल भेजने का मन बना चुके हैं। इनमें आठ लड़के और तीन लड़कियां हैं। कहते हैं, ऐसे बच्चों की क्षमता और सोच को दिशा देने के लिए वह प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक उनके परिवारों का सहयोग करेंगे।
बताते हैं कि इस कार्य में डॉ. जेपी भट्ट, रचेंद्र भंडारी, विवेक मेवाड़, सुभाष चंद्र, विशाल ठाकुर, सुनीता खत्री, रेनू पोखरियाल आदि उनका पूरा-पूरा साथ दे रहे हैं।
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