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    वात्सल्य की प्रतिमूर्ति बनी शिक्षिका, काटती है बच्चों के नाखून

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 04 Apr 2017 04:02 AM (IST)

    भट्टीगांव की शिक्षक गंगा गरीब बच्चों के लिए पालनहार व वात्सल्य की प्रतिमूर्ति बनी हुई हैं। वेतन का तीस फीसद वह बच्चों पर खर्च करती हैं। वह बच्चों के नाखून भी काटती है।

    वात्सल्य की प्रतिमूर्ति बनी शिक्षिका, काटती है बच्चों के नाखून

    बेरीनाग, अल्मोड़ा [प्रदीप माहरा]: देश में गंगा नदी को मां का दर्जा प्राप्त है। लाखों परिवारों के लिए अन्न-जल का इंतजाम करने वाली देश की इस पवित्र नदी की तरह ही है भट्टीगांव (बेरीनाग) की शिक्षक गंगा भी गरीब बच्चों के लिए पालनहार व वात्सल्य की प्रतिमूर्ति बनी हुई हैं। दीपावली हो या होली, हर त्योहार वह बच्चों के साथ स्कूल में ही मनाती हैं। राष्ट्रीय पर्वों का महत्व तो इस स्कूल के बच्चों से बेहतर शायद ही अन्य स्कूलों के बच्चे जानते होंगे।  

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    अल्मोड़ा जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय भट्टीगांव में तैनात शिक्षक गंगा आर्या सवालों में घिरी रहने वाली सरकारी शिक्षा व्यवस्था में एक ज्योतिपुंज की तरह हैं। गंगा के सरोकार स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से गहरे तक जुड़े हुए हैं। सिर्फ कोर्स पूरा करा देने की भूमिका से इतर वे बच्चों के हर सुख का ख्याल रखती हैं। 

    विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के हैं। ठंड के मौसम में बच्चों की ठिठुरन उन्हें परेशान कर देती है। इसलिए वे अपने खर्च से बच्चों को गर्म कपड़े उपलब्ध कराती हैं। क्षेत्र के दो गरीब बच्चों को उन्होंने गोद लिया हुआ है। इनकी शिक्षा-दीक्षा से लेकर हर खर्च वह खुद पूरा करती हैं। हर माह वेतन का 30 प्रतिशत उन्होंने बच्चों की मदद के लिए तय कर रखा है।

    विद्यालय को मंदिर मानने वाली गंगा ने अपने खर्च से न केवल विद्यालय की चाहरदीवारी का निर्माण करवाया, बल्कि बच्चों के लिए फर्नीचर भी खरीदा है। हालांकि, वह बच्चों के बीच ही बैठती हैं। उनका तर्क है इससे बच्चों के साथ आत्मीय संबंध विकसित होते हैं। आधुनिक शिक्षा से तालमेल के लिए उन्होंने अपने खर्च पर बच्चों के लिए कंप्यूटर भी खरीदा है। 

    सावित्री बाई फुले पुरस्कार, अंबेडकर फेलोशिप व राष्ट्रीय फेलोशिप से नवाजी जा चुकी गंगा का मानना है पुरस्कार उनके लिए मायने नहीं रखते। कहती हैं, सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो लोग प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख क्यों करेंगे। 

    अपने खर्च पर रखा है शिक्षक 

    सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा अपने वेतन से कुछ धनराशि देकर दूसरा शिक्षक तैनात करने और स्वयं दूसरे कार्यो में लगे होने के मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं। वहीं गंगा ने बच्चों की बेहतरी के लिए अपने खर्च से विद्यालय में एक और शिक्षक की तैनाती कर रखी है। गंगा मध्यावकाश में बच्चों को नहलाने से लेकर उनके नाखून काटते तक देखी जा सकती हैं।

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