दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने सुनाई दस साल की सजा
जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में एक व्यक्ति को दस साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
पौड़ी, [जेएनएन]: जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में एक व्यक्ति को दस साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को एक लाख रुपए की विशेष मुआवजा राशि पीड़िता को देने के आदेश भी दिए हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़िता के पति ने दो अप्रैल 2016 को एसडीएम कोटद्वार को अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दी। इसी पर तीन अप्रैल 2016 को पट्टी अजमेर वल्ला दो में राजस्व पुलिस चौकी में मामला दर्ज हुआ।
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बताया कि पीडिता का पति उद्यमसिंह नगर में प्राईवेट जॉब करता है। उसी के पड़ोस में सुरेंद्र वन तथा तथा उसके दो बेटे शिवम, अजीत भी रहते थे। सभी बदांयू जनपद के रफतपुर बंजारा के रहने वाले हैं।
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आरोप है कि 21 मार्च 2016 को पीडिता के पति ने अपने घर फोन किया तो पता चला उसकी पत्नी घर पर नही है। वह यह कह कर कोटद्वार गई है कि उसके पिता का स्वास्थ्य खराब है। उसके बाद पीडिता के पति ने कहीं जगह पत्नी के बारे में पूछा, लेकिन कोई पता नहीं चला।
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आरोप है कि पड़ोस में रहने वाले शिवम ने पीड़िता को फोन किया कि उसके पति ने सामान भेजा है और वह उसे लेने हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाए। हरिद्वार पहुंचने पर शिवम इस महिला को एक कमरे में ले गया। जहां सुरेंद्र वन व उसका बेटा अजीत भी मौजूद था।
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आरोप है कि इस बीच हरिद्वार में शिवम ने तीन-चार दिन तक महिला के साथ दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं उसे बदांयू भी ले गया। दस अप्रैल 2016 को वे महिला को छोड़ेने कोटद्वार आए तो यहां राजस्व पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की पूछताछ में इस मामले में महिला के साथ दुष्कर्म किए जाने का खुलासा हुआ।
जिला जज एवं सत्र न्यायाधीश कॅवर सेन की अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस और साक्ष्यों के अवलोकन के बाद शिवम को दुष्कर्म का आरोपी पाते हुए दस साल की सजा सुनाई। वहीं, सुरेंद्र वन और उसके बेटे अजीत को बरी कर दिया। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता अवनीश नेगी ने पैरवी की।
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