पहाड़ चढ़े बाघ को नहीं मिलेगा प्राकृतिक वास
वन विभाग की टीम ने पिछले दिनों एक बाघ को बेतालघाट में देखा। टीम ने उसे पकड़ लिया था। इस बाघ को जंगल से दूर चिड़ियाघर में ही कैद रहना होगा।
नैनीताल, [जेएनएन]: आमतौर पर बाघ पर्वतीय क्षेत्रों में नहीं पाए जाते, लेकिन पिछले दिनों एक बाघ बेतालघाट में देखा गया। उसे वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया था। इस बाघ को अब प्राकृतिक वास जंगल से दूर चिड़ियाघर में ही कैद रहना होगा।
दरअसल बढ़ती उम्र और आगे के तीन दांत टूटे पाए जाने से उसके आदमखोर हो जाने की आशंका बढ़ गई है। पशु चिकित्सक की संस्तुति के साथ निदेशक चिड़ियाघर की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक ने बाघ को अब चिड़ियाघर में ही रखने की अनुमति प्रदान कर दी है। चिकित्सकीय उपचार से स्वस्थ्य होने के बाद उसे आम जनता के दीदार को बाड़े में रख दिया गया है।
31 जनवरी को बेतालघाट के तल्ली सेठी में करीब छह फिट लंबा व करीब 12 वर्षीय नर टाइगर तार में उलझकर फंस गया था। चिड़ियाघर कर्मचारियों की तत्परता से उसे ट्रेंकुलाइज कर लिया गया और उसके बाद पिंजरे में कैद कर चिड़ियाघर लाया गया। पशुचिकित्सक डॉ योगेश भारद्वाज द्वारा उसका उपचार किया गया।
हालत में सुधार के बाद पता चला कि टाइगर के आगे के तीन केनाइन टीथ हैं ही नहीं, जिनकी संख्या चार होती है। डीएफओ धर्म सिंह मीणा के अनुसार नैनीताल चिड़ियाघर में टाइगर की मॉनिटरिंग की गई। विभाग की कमेटी द्वारा उसका परीक्षण किया गया तो उसे प्राकृतिक वास प्रदान करने के लिए अनफिट पाया गया।
कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि इन हालातों में वह शिकार नहीं कर सकता है और उसके आदमखोर होने का खतरा है। इसके बाद मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को रिपोर्ट भेजते हुए अनुमति प्रदान की गई। बकौल डीएफओ मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक ने उसे चिड़ियाघर में रखने की अनुमति प्रदान कर दी है।
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