बाघों की बादशाहत को युवराज दे रहे चुनौती
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बूढे हो चुके बाघों को नए बाघ चुनौती दे रहे हैं। नतीजन तीन सालों के भीतर 17 बाघ अपनी जान भी गंवा चुके हैं। ...और पढ़ें

हल्द्वानी, [कमलेश पांडेय]: कॉर्बेट लैंडस्केप में बाघों की आबादी से आपसी संघर्ष भी बढ़ने लगा है। उम्रदराज होते बाघों की बादशाहत को नई पीढ़ी चुनौती दे रही है। इलाका(टेरिटरी) कब्जा करने की जंग में तीन साल के भीतर 17 बाघ अपनी जान गंवा चुके हैं।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व(सीटीआर) में बाघों की आबादी 186 से बढ़कर 215 होने से अगर पार्क प्रशासन की चुनौतियां बढ़ीं हैं तो बाघों के लिए भी मुसीबत कम नहीं। दस वर्ष की उम्र पूरी कर चुके बाघ नई पीढ़ी की चुनौती से या तो पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं अथवा आपसी संघर्ष में मारे जा रहे हैं।
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चोटिल बाघ जंगल के भीतर घाव में संक्रमण से भी मर रहे हैं। कल फिर एक बाघ का शव मिलने पर वन विभाग ने मौत का कारण सर्पदंश बताया है लेकिन चोट के निशान इस बात की चुगली करने को काफी हैं कि बाघ घायल भी था। उसे जहर दिए जाने या सांप की जद में आसानी से आ जाने की संभावनाओं से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
इसलिए बढ़ा संघर्ष
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक बाघ 8 से 10 वर्ग किमी में अपना इलाका(टेरिटरी) बनाता है। आबादी बढ़ने से टेरिटरी का दायरा भी घट रहा है तो नई पीढ़ी भी तेजी से जवान हो रही है। बाघ आमतौर पर चार-पांच वर्ष की उम्र में पूर्ण व्यस्क हो जाता है।
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व्यस्क होते ही इलाका छीनने और मादा बाघ पर आधिपत्य की जंग के लिए आमादा हो उठता है। कॉर्बेट पार्क में नई पीढ़ी का आधिपत्य बढ़ रहा है तो उम्रदराज बाघ पलायन को मजबूर हैं। पंगा लेने पर मारे जा रहे हैं। तीन वर्षों में मारे गए अधिकांश बाघ दस से 12 वर्ष की उम्र के रहे हैं। कार्बेट पार्क के बाहर के जंगलों और आसपास के गांवों में बाघों की आवाजाही बढऩे को उम्रदराजों का पलायन माना जा रहा है।
पलायन में उम्रदराज बाघों के सामने शिकार हो जाने की चुनौती भी रहती है। वह पार्क से इतर वन प्रभागों के घने क्षेत्र में नई पीढ़ी के इलाकों में प्रवेश से घबराते हैं और जंगल के बाहरी इलाकों में ही मंडराते रहते हैं। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष भी होता है।
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कॉर्बेट लैंडस्केप में बाघों की मौत
सीटीआर मई 2013 ढेला रेंज, मई 2014 कालागढ़, मई 2014 धाराबीट कालागढ़, जून 2014 सोना नदी रेंज, जून 2015 झिरना रेंज, फरवरी 2016 बिजरानी रेंज, जुलाई 2016 झिरना रेंज।
तराई पश्चिमी प्रभाग
अप्रैल 2013 बैलपड़ाव, अप्रैल 2014 बैलपड़ाव, जून 2013 आमपोखरा रेंज, मई 2014 आमपोखरा रेंज व नवंबर 2014- काशीपुर रेंज
रामनगर वन प्रभाग
अक्टूबर व दिसंबर 2013 बेचौरी रेंज, मई 2015 व जुलाई 2016 कोसी रेंज।

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