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    छाया बनकर महिलाओं को मजबूती दे रही है माया

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Sun, 26 Feb 2017 07:00 AM (IST)

    एमए करने के बाद माया ने महिलाओं को डेरी उद्योग से जोड़कर रोजगार देने की योजना बनाई। इसमें सफलता भी मिली और 150 महिलाएं डेरी उद्योग से जुड़ गईं।

    छाया बनकर महिलाओं को मजबूती दे रही है माया

    हल्द्वानी, [जेएनएन]: महिलाओं की दुर्दशा ने माया नेगी को ऐसा झकझोरा कि उन्होंने गांव के आसपास की महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत बनाने की ठान ली। इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने न सिर्फ आगे की पढ़ाई जारी रखी, बल्कि महिलाओं को भी पढ़ाना शुरू कर दिया। 

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    एमए करने के बाद उन्होंने महिलाओं को डेरी उद्योग से जोड़कर रोजगार देने की योजना बनाई। इसमें सफलता भी मिली और 150 महिलाएं डेरी उद्योग से जुड़ गईं। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा और इसी की परिणति है कि माया अब तक सौ महिला समूह बना चुकी हैं। इनसे जुड़कर 1200 से अधिक महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं। कोटाबाग के गंती गांव निवासी माया नेगी क्षेत्र में महिलाओं के लिए आदर्श भी हैं और उनकी ताकत भी। 
    उन्होंने छोटे से स्वयं सहायता समूह से महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से ताकतवर बनाने का काम शुरू किया था। यह प्रयास अब बड़ा रूप ले चुका है। पढ़ाई में अव्वल रही माया नौकरी भी कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने महिलाओं की बदहाली को दूर करने की कठिन राह चुनी।
    खेती संग पर्यावरण की भी रक्षा
    माया नेगी ने गांव में बर्बाद होती खेती से महिलाओं को जोडऩे का काम किया। इसके लिए उन्होंने पहले खुद प्रशिक्षण लिया और फिर महिलाओं को गांव में ही खेती की आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की।अब गांव की महिलाएं अपने दम पर फल और सब्जी उत्पादन कर स्वावलंबी बन रही हैं।
    उनकी संस्था गरीब किसानों को नाबार्ड की मदद से उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने का काम भी कर रही है। वह जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर शोध कार्य भी करती हैं। साथ ही नई तकनीक के जरिये खेती को उन्नत बनाने का काम कर रही हैं। 
    समाजसेवा का जुनून
    माया कहती हैं कि अगर कोई परेशान महिला उनको रात के समय भी फोन कर बुलाती है तो वह खुद को रोक नहीं पातीं। अंधेरे और मौसम की परवाह किए बगैर मदद को निकल पड़ती हैं। बकौल माया, यदि हम दूसरों की सहायता करने की स्थिति में हैं तो अवश्य करनी चाहिए। हमारा छोटा-सा प्रयास जरूरतमंदों के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।