कभी टिहरी नरेश का था कार्बेट नेशनल पार्क, जानिए पार्क के कुछ और रोचक तथ्य
क्या अाप जानते हैं कि पहले जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क टिहरी के राजा के अधीन में था। जानिए, कार्बेट पार्क की ऐसी कुछ रोचक बातें। ...और पढ़ें

रामनगर, [त्रिलोक रावत]: देश-दुनिया में बाघों के संरक्षण और बढ़ती तादाद के लिए प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क 80 वर्ष का हो गया। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह पार्क पहले हेली नेशनल पार्क और बाद में रामगंगा नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था।
साठ के दशक में आम जनमानस में वन्य जीव प्रेमी के नाम से मशहूर हुए एडवर्ड जिम कॉर्बेट के नाम पर इस पार्क का नाम रखा गया। इससे संबंधित एक और रोचक तथ्य है। वर्ष 1819 तक पार्क का यह क्षेत्र टिहरी नरेश के अधीन हुआ करता था। 1820 में टिहरी नरेश ने अपनी यह भूमि ब्रिटिश सरकार को दे दी।
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1936 में बना एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान
वन्यजीवों के इस संरक्षित क्षेत्र की स्थापना आठ अगस्त 1936 को एशिया के पहले राष्ट्रीय उद्यान के रूप में हुई थी। देश में बाघों को बचाने के लिए शुरू किए गए 'प्रोजेक्ट टाइगर' का शुभारंभ भी वर्ष 1973 में इसी पार्क से हुआ था। वर्तमान में राज्य में 340 बाघों में से 215 कॉर्बेट पार्क में हैं।
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टिहरी नरेश ने यह भूमि अंग्रेजों को सौंपी तो 1858 में कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर हैनरी रैमजे ने इस भूमि के संरक्षण की योजना बनाई। 1868 में इसके संरक्षण की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंप दी गई और वर्ष 1879 में इसे आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया।
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तत्कालीन गवर्नर सर हेली ने वर्ष 1934 में इस भूमि को राष्ट्रीय उद्यान बनाने की सिफारिश ब्रिटिश सरकार से की। जिम कॉर्बेट ने इसकी सीमाओं का निर्धारण किया। आठ अगस्त 1936 को 323.23 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को मिलाकर हेली नेशनल पार्क के रूप में इसकी स्थापना हुई।
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समृद्ध है जंगल
बाघों की संख्या के मामले में कॉर्बेट पार्क सिरमौर तो है ही, वहीं चीतल, काकड़, हाथी के अलावा 55 स्तनपाई प्रजातियां, 33 जलीय सरीसृप व 685 पक्षियों की प्रजातियां भी यहां मौजूद हैं।
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