उत्तराखंड में शराब व खनन बंदी में सरकार फेल: इंदिरा हृदयेश
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना है कि समय रहते पैरवी न करा पाने का ही नतीजा है कि राजस्व प्राप्ति के बड़े स्रोत ठप पड़े हैं और बेरोजगारी बड़ी समस्या बनकर उभरी है।
हल्द्वानी, [जेएनएन]: शराब व खनन बंदी को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना है कि समय रहते पैरवी न करा पाने का ही नतीजा है कि राजस्व प्राप्ति के बड़े स्रोत ठप पड़े हैं और बेरोजगारी बड़ी समस्या बनकर उभरी है। यही नहीं मातृशक्ति शराब के विरोध में सड़कों पर उतर रही है। यह सरकार की बड़ी असफलता है।
उन्होंने कहा कि उप्र की तर्ज पर यहां के किसानों का भी कर्ज माफ होना चाहिए। हमने सरकार को छह माह का समय दिया था, लेकिन हालात अभी से कांग्रेस को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. हृदयेश ने पत्रकार वार्ता में कहा कि हाई कोर्ट द्वारा खनन पर रोक लगाए जाने के बाद सरकार को तेजी दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करनी चाहिए थी। यही स्थिति तीन जिलों में पूर्ण शराब बंदी व नेशनल-स्टेट हाईवे से शराब की दुकानें व बार हटाने को लेकर भी रही।
इसके लिए उत्तर प्रदेश ने सड़कों का दर्जा बदलकर रास्ता भी खोल लिया। उत्तराखंड में शराब की दुकानें मोहल्लों की ओर शिफ्ट हो रही हैं और मातृशक्ति विरोध में खड़ी हो गई है। कांग्रेस साफ तौर पर शराब बंदी के पक्ष में है।
उन्होंने कहा कि सरकार बेरोजगारी बढ़ाने से अपना खाता खोल रही है। समय पर वेतन बांटने के लिए पैसा नहीं है। केंद्र से भरपूर पैसा मिलने की बात कहने वालों को यह पता चलने लगा है कि राज्यों को बजट मानकों के अनुरूप ही मिलता है।
डॉ. इंदिरा ने कहा कि उप्र की तर्ज पर यहां के किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए। यहां छोटे किसान हैं और पर्वतीय क्षेत्रों में खेती की स्थिति और खराब है। राशन की दुकानों में चीनी व गेहूं बंद करा दिया गया है।
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य के आइएसबीटी टेंडर मामले में जांच कराने के बयान पर डॉ. इंदिरा ने कहा कि सरकार आइएसबीटी ही नहीं किसी भी मामले में जांच को स्वतंत्र है।
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