उत्तराखंडः खनन और आबकारी से सरकार को 500 करोड़ का झटका
राज्य में पहले खनन और फिर आबकारी राजस्व को लगे झटके से सरकारी खजाने की हालत पतली होने जा रही है। इससे सरकार को पांच सौ करोड़ के घाटे का अनुमान है।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: राज्य में पहले खनन और फिर आबकारी राजस्व को लगे झटके से सरकारी खजाने की हालत पतली होने जा रही है। हालात तब्दील न हुए तो इससे नए वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में करीब 500 करोड़ की कटौती तय है।
नेशनल व स्टेट हाइवे से दुकानों की शिफ्टिंग में पेश आ रही दिक्कतों के चलते आबकारी से होने वाली आमदनी में ही चालू महीने में तकरीबन 200 करोड़ का बड़ा घाटा होने के अंदेशे से सरकार के हाथ-पांव फूले हैं। राज्य के कर राजस्व से होने वाली कुल आमदनी में आबकारी की हिस्सेदारी करीब 19 फीसद है। आमदनी पर पड़ रही इस मार का असर राज्य में सड़कों, भवनों के निर्माण कार्यों से लेकर विकास कार्यों पर कैंची के रूप में दिखाई दे सकता है।
आमदनी के सीमित संसाधनों से जूझ रहे राज्य की मुश्किलें नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही बढ़ गई हैं। सिर्फ खनन पर चार माह तक लगी रोक से राज्य की चूलें हिलने की नौबत है। इसकी वजह राज्य की आय में कटौती तो है ही, साथ में खनन पर रोक के चलते निर्माण कार्यों से जुड़े तमाम महकमों को अपनी डीपीआर संशोधित करनी पड़ सकती है।
बाजार में निर्माण सामग्री की दरों में बड़ा इजाफा हो चुका है। नए वित्तीय वर्ष के लिए तैयार किए गए बजट प्रस्ताव में निर्माण कार्य पिछली दरों को ध्यान में रखकर डीपीआर तैयार की गई हैं। खनन पर प्रतिबंध ने शिड्यूल ऑफ रेट (एसओआर) पर भी दबाव बढ़ा दिया है। यूं तो खनन से सालाना हो रही करीब 350 करोड़ की आमदनी की कुल कर राजस्व में हिस्सेदारी तीन फीसद है, लेकिन अवैध खनन को रोककर इस आमदनी को बढ़ाने की कोशिशों पर भी फिलहाल ब्रेक लग गया है। खनन पर पाबंदी से आमदनी थमेगी, लेकिन बड़ी परेशानी विकास कार्यों को अंजाम देने में पेश आएगी।
खनन के बाद अब शराब को लेकर नई व्यवस्था और दुकानों की शिफ्टिंग में हो रही दिक्कतों ने आबकारी राजस्व की राह कंटीली बना दी है। इस राजस्व की राज्य की कुल आमदनी में वैट के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। इससे सालाना करीब 2000 करोड़ की आय होती है। ये आमदनी गड़बड़ाने से राज्य को इसी माह 200 करोड़ का घाटा होने का अनुमान जताया जा रहा है।
इससे पहले नोटबंदी के चलते राज्य में स्टांप और रजिस्ट्रेशन से होने वाली आमदनी पर गाज गिर चुकी है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 900 करोड़ की आमदनी का लक्ष्य पार होना तो दूर की बात यह वित्तीय वर्ष 2015-16 में 870 करोड़ आमदनी के मुकाबले गिर कर 820 करोड़ पर ठहर चुका है।
हालात ऐसे ही बने रहे तो राज्य के नए बजट में बड़ी कटौती होगी। खास बात ये है कि ये कटौती नॉन प्लान मद के खर्च के बजाए प्लान मद में ही होनी है। वेतन, भत्तों, पेंशन जैसे नॉन प्लान के खर्च में कटौती का साहस सरकार शायद ही जुटा पाए। बदले हालात में नए बजट में 500 करोड़ की कटौती की तैयारी है।
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