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    अब शोषण के शिकार बच्चों को न्याय दिलाएंगे बाल प्रहरी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 01 Dec 2016 06:07 AM (IST)

    ग्रामीण क्षेत्र में शोषण और हिंसा के शिकार बच्चों को न्याय दिलाने के लिए बच्चों की टीम सक्रिय होगी। इस टीम के सदस्यों को बाल प्रहरी का नाम दिया गया है।

    हल्द्वानी, [सत्येंद्र डंडरियाल]: छोटा बच्चा जानकर मत आंख दिखाना रे...। यह गीत तो जेहन में होगा ही। अब बच्चों के शोषण व उनसे हिंसा की निगहबानी भी खुद बच्चे ही करेंगे। इन्हें बाल प्रहरी कहा जाएगा। बच्चे अपने साथ होने वाले शोषण को आमतौर पर या तो परिवार के साथ साझा करते हैं अथवा दोस्तों से। ऐसे में बाल प्रहरी उनसे टोह लेंगे और दोषी को सजा दिलाने में मदद करेंगे।
    शहरी क्षेत्रों में चाइल्ड लाइन जैसी संस्थाएं बच्चों के लिए काम करती हैं, लेकिन गांवों की बात गांवों में ही दबी रह जाती है। आमतौर पर कई बार शोषण के मामले सामने आने के बाद भी बदनामी के डर से परिवार के लोग ही मामला दबा देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।

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    गांव की ग्राम बाल संरक्षण इकाई बच्चों को शोषण से बचाएगी। किसी भी तरह की हिंसा और शोषण के शिकार बच्चे अपने गांव में गठित इकाई की मदद से न्याय पाएंगे। विकासखंड के प्रत्येक गांव में इन इकाईयों का गठन किया जाएगा।
    खास बात यह है कि इस इकाई में ग्राम प्रधान से लेकर गांव के अंतर्गत आने वाले स्कूल के शिक्षकों के अलावा गांव के ही बच्चे बतौर प्रतिनिधि नामित होंगे। अभी तक गांव में इस तरह की इकाई नहीं है। यह पहली बार है कि जब गांव में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम-2015 के अंतर्गत व समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत 0-18 वर्ष तक के बच्चे व किशोरों को सहायता मिलेगी।

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    किसी भी तरह के शोषण पर इकाई खुद संज्ञान ले सकती है या शिकायत पर कार्रवाई भी कर सकती है। साथ ही यह इकाई निराश्रित एवं अनाथ बच्चों के संरक्षण, पुर्नवास के लिए भी कार्य करेगी।
    हाल ही में जिलाधिकारी दीपक रावत ने जिले के सभी खंड विकास अधिकारियों को ग्राम बाल संरक्षण इकाई का गठन करने के निर्देश भी जारी किए हैं। नैनीताल जिले के आठ विकासखंडों में करीब 550 ग्राम पंचायतें हैं और उम्मीद है कि जल्द इन ग्राम पंचायतों में ग्राम बाल संरक्षण इकाई के गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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    ग्राम प्रधान होंगे इकाई के अध्यक्ष
    ग्राम बाल संरक्षण इकाई में ग्राम प्रधान अध्यक्ष होगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, संबंधित ग्राम पंचायत की एएनएम व प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक, गांव के दो अभिभावक (महिला व पुरुष) सदस्य रहेंगे। जबकि दो बाल प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा। शोषण के मामले सामने आने पर यह इकाई जिला बाल संरक्षण समिति को रिपोर्ट करेगी।
    जल्द मिलेंगे सार्थक परिणाम
    जिला बाल संरक्षण अधिकारी अंजना गुप्ता ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर सभी बीडीओ को ग्राम स्तरीय इकाई का गठन करने को पत्र भेजा गया है। साथ ही इसकी प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई है। जल्द ही परिणाम भी सामने आने लगेंगे।
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