बारहसिंघों के घर में दस्तक देने लगे हैं बाघ
उत्तराखंड में बारहसिंघों के एकमात्र वासस्थल झिलमिल झील कंजर्वेशन रिजर्व में अब बाघों ने भी दस्तक दी है। इस बात की तस्दीक कैमरे में कैद हुई तस्वीरें कर रही हैं।
हरिद्वार, [राहुल गिरि]: उत्तराखंड में बारहसिंघों के एकमात्र वासस्थल झिलमिल झील कंजर्वेशन रिजर्व में अब बाघों ने भी दस्तक दी है। इस बात की तस्दीक कैमरे में कैद हुई तस्वीरें कर रही हैं।
राजाजी नेशनल पार्क से सटे हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेंज में 3783 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है। इस कंजर्वेशन रिजर्व में बाघों के पदचिह्न मिलने के बाद इसकी पुष्टि को कैमरे लगाए गए। इनमें कैद तस्वीरों ने इस पर मुहर भी लगा दी।
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तस्वीरों में एक बाघिन अपने दो शावकों संग नजर आई। शावकों की उम्र डेढ़ से दो साल के बीच बताई जा रही है। इस सबके मद्देनजर झिलमिल के साथ ही इससे लगी सभी वन रेंजों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
गंगा के बाएं तट पर स्थित झिलमिल झील के कटोरीनुमा दलदली क्षेत्र में बारहसिंघों का बसेरा है। इस इलाके में बाघों की मौजूदगी की सुगबुगाहट बीती पांच अगस्त को मिली। तब सुबह गश्त के दरम्यान रसियाबड़ के रेंज अधिकारी प्रदीप उनियाल और उनकी टीम को नालोवाला क्षेत्र और झिलमिल झील के पास बाघ के पदचिह्न दिखाई दिए। यह पहला मौका था, जब झिलमिल में बाघ की मौजूदगी के प्रमाण मिले।
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इसकी जानकारी मिलने पर हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ एचके सिंह ने आधिकारिक पुष्टि के लिए क्षेत्र में कैमरा ट्रैप लगाने के निर्देश दिए।
छह अगस्त को इस इलाके में तीन कैमरे लगाए गए और अगले दिन इनकी पड़ताल करने पर दो शावकों संग बाघिन की तस्वीरें मिलीं।
बाघ की सक्रियता को देखते हुए प्रभागीय वनाधिकारी ने झिलमिल झील के साथ ही इससे लगी चिड़ियापुर, श्यामपुर, हरिद्वार व लक्सर रेंज में अलर्ट घोषित कर दिया। सभी रेंज अधिकारियों को रात्रि गश्त के कड़े निर्देश दिए गए हैं।
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बाघ के मूवमेंट वाले क्षेत्र में किसी को न घुसने की सलाह दी गई है। उन्होंने संभावना जताई कि संभवत: यह बाघिन राजाजी नेशनल पार्क से यहां आई हो और सुरक्षित घर की तलाश में हो।
झिलमिल में 250 से ज्यादा बारहसिंघे
संकटापन्न सूची में शामिल बारहसिंघों के संरक्षण के मद्देनजर सूबे में इनके एकमात्र घर झिलमिल झील को 2005 में कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया। वर्तमान में वहां बारहसिंघों की संख्या 250 से 300 के बीच है। इसके अलावा इस दलदली क्षेत्र में हिरनों की पांच और परिंदों की 160 से ज्यादा प्रजातियां चिह्नित हैं। हाथी, नीलगाय व तेंदुओं के साथ ही अब बाघ ने भी यहां दस्तक दी है।
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महकमे के सामने बड़ी चुनौती
झिलमिल झील क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि के बाद वन महकमे के सामने इनकी सुरक्षा की चुनौती भी बढ़ गई है। हालांकि, यह संरक्षित क्षेत्र है और यहां सैलानियों की आवाजाही सीमित है। लेकिन, सैलानियों की आड़ कौन वहां आ धमके, इसे देखना बड़ी चुनौती है। विभागीय अधिकारी भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। हालांकि, उनका कहना है कि बाघ सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
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