Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    मृत तालाब को जीवन दे रहा है राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 11 Jun 2017 05:19 PM (IST)

    राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की भगवानपुर ब्लॉक की इब्राहिमपुर मसाही ग्राम पंचायत में तालाब को पुनर्जीवित कर उसके नवीनीकरण का कार्य कर रहा है।

    मृत तालाब को जीवन दे रहा है राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान

    रुड़की, [रीना डंडरियाल]: राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की की ओर से जल संरक्षण और स्वच्छता पर सार्थक पहल की जा रही है। इसके तहत भगवानपुर ब्लॉक की इब्राहिमपुर मसाही ग्राम पंचायत में तालाब को पुनर्जीवित कर उसके नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संस्थान के वैज्ञानिकों की इस पहल को देखते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की ओर से एनआइएच को आठ करोड़ की लागत से मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में 14 तालाबों को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

    एनआइएच के अनुसंधान प्रबंधन एवं प्रसार प्रभाग की ओर से सामाजिक पहल के तहत इब्राहिमपुर मसाही गांव में पिछले कई वर्षों से अनुपयोगी हो चुके तालाब को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। अब तालाब के पानी का उपचार कर उसे सिंचाई और मछली पालन के योग्य भी बनाया जाएगा। साथ में तालाब के आसपास सौंदर्यीकरण का भी काम किया जा रहा है। इसके अलावा संस्थान जिले में अन्य तालाबों के पुनरुद्धार के लिए भी प्रयास करेगा। 

    एनआइएच के अनुसंधान प्रबंधन एवं प्रसार प्रभाग के अध्यक्ष एवं परियोजना संयोजक डॉ. वीसी गोयल ने बताया कि इब्राहिमपुर मसाही में स्थित तालाब बीते कई सालों से अनुपयोगी हो गया था। ऐसे में संस्थान ने अपने स्तर से इसका नवीनीकरण करने की ठान ली। वर्ष 2015 से इसको पुनर्जीवित करने का कार्य चल रहा है, जो जून अंतिम सप्ताह तक पूरा हो जाएगा।

     बताया कि कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड पद्धति के जरिये तालाब का नवीनीकरण किया जा रहा है। तालाब में घरों से निकलने वाला गंदा पानी गिरने से पहले उसका प्राकृतिक तरीके से उपचार किया जाएगा। इससे ग्रामीण इस पानी का ङ्क्षसचाई और मछली पालन में उपयोग कर सकेंगे।

    बताया कि तालाब सबसे बेहतर ईको सिस्टम है। इनके पुनर्जीवित होने से पानी की उपलब्धता एवं उसकी गुणवत्ता बढ़ेगी, सूखे की समस्या से छुटकारा मिलेगा और रीचार्ज बढऩे समेत कई अन्य लाभ होंगे। डॉ. गोयल के अनुसार विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एनआइएच में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी दीपक रावत ने हरिद्वार जिले में 43 तालाबों को पुनर्जीवित करने की बात कही थी। इसके लिए कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड पद्धति कारगार साबित होगी। 

    नवीनीकरण के बाद 20 फीसद इजाफा

    पहले इस तालाब का क्षेत्रफल 0.5 एकड़, औसत गहराई 2.3 मीटर और आयतन 5200 घन मीटर था। नवीनीकरण के बाद इसकी क्षमता में 20 फीसद तक इजाफा होगा। इसका फायदा क्षेत्रवासियों को मिलेगा। 

    कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड पद्धति 

    कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड गंदे पानी के उपचार की प्राकृतिक पद्धति है। यह प्राकृतिक घटकों, जैसे बजरी और पौधों का उपयोग कर गंदे पानी के प्रदूषण का निवारण करती है। यह पद्धति कम लागत और न्यूनतम रखरखाव होने से गांववासियों के लिए उपयुक्त है। वैज्ञानिकों के अनुसार फिलहाल यह पद्धति यूरोप में अधिक प्रचलित है।

     यह भी पढ़ें: पौड़ी जिले में असहायों के सहाय बने खंड के नौजवान

    यह भी पढ़ें: बगीचा लगा खुद तो हुए आत्‍मनिर्भर और को भी किया प्रेरित

    यह भी पढ़ें: ग्रामीणों ने खुद ली जिम्मेदारी, कड़वापानी से निकाली पानी की 'कड़वाहट'