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    ग्रामीणों ने खुद ली जिम्मेदारी, कड़वापानी से निकाली पानी की 'कड़वाहट'

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 29 May 2017 05:01 AM (IST)

    दून का 35 साल पुराना कड़वापानी प्राकृतिक जलस्रोत को साफ करने की जिम्मेदारी ग्रामीणों ने खुद ली और अब उससे छह लाख लीटर पानी रोज पीने के मिलने लगा है।

    ग्रामीणों ने खुद ली जिम्मेदारी, कड़वापानी से निकाली पानी की 'कड़वाहट'

    देहरादून, [अंकित सैनी]: दून का 35 साल पुराना कड़वापानी प्राकृतिक जलस्रोत, जिससे आसपास की करीब सौ बीघा खेती की तो सिंचाई होती ही है, क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों की 15 हजार आबादी को भी पीने का पानी भी मिलता है। लेकिन, देखरेख के अभाव में यह स्रोत लगातार दूषित होता चला गया। अब स्थिति ये है कि स्रोत में कीचड़ व पत्ते जमा होने से पानी काफी घट गया है। लेकिन कोई स्रोत की सुध लेने वाला नहीं। ऐसे में कारबारी के ग्रामीणों ने खुद स्रोत को साफ करने की जिम्मेदारी ली और अब उससे छह लाख लीटर पानी रोज पीने के मिलने लगा है।

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    जल संस्थान ने 35 साल पहले कड़वापानी पेयजल योजना का निर्माण किया था। इससे खेती के साथ जल संस्थान ग्रामसभा कारबारी, भुड्डी गांव, नया गांव पेलियो, झीवरहेड़ी, मल्हान ग्रांट व भूड़पुर के लिए छह लाख लीटर पानी की आपूर्ति करता है। लेकिन, देखरेख न होने के कारण स्रोत में कीचड़ जमा हो जाने से क्षेत्र में पानी का संकट खड़ा हो गया। साथ ही कई घरों में दूषित पानी पहुंचने लगा। 

    जब अधिकारियों ने समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो ग्रामसभा कारबारी के प्रधान दयानंद जोशी के नेतृत्व में उप प्रधान जयवती नंदन पुरोहित, सतेंद्र बुटोला, प्रद्युम्न बुटोला, नवीन व बुद्धिबल्लभ थपलियाल ने खुद हाथों में फावड़े उठाए और निकल पड़े स्रोत की सफाई के लिए। तीन दिन तक ग्रामीणों ने रात-दिन एक कर स्रोत की सफाई की। 

    नतीजा, अब स्रोत से छह लाख लीटर साफ पानी ग्रामीणों को मिलने लगा है। साथ ही किसानों के सामने सिंचाई का संकट भी नहीं रहा। प्रधान दयानंद जोशी कहते हैं कि भविष्य में भी इस तरह के कार्यों के लिए वह सरकारी अधिकारियों का मुंह नहीं ताकेंगे। 

    वहीं, कारबारी ग्रांट के ग्राम प्रधान दयानंद जोशी का कहना है कि हम कई बार जल संस्थान के अधिकारियों को जलस्रोत की सफाई कराने के लिए पत्र दे चुके थे। लेकिन, जब किसी अधिकारी ने हमारी नहीं सुनी तो हमने खुद ही काम शुरू कर दिया। नतीजा सबके सामने है।

    वहीं, स्थानीय ग्रामीण बुद्धिबल्लभ थपलियाल का कहना है कि जलस्रोत साफ करने का हमारा मकसद सभी लोगों को यह संदेश देना था कि सिर्फ सरकारी अधिकारियों से भरोसे न बैठे रहें। यदि अधिकारी काम नहीं करते तो हमें स्वयं अपने लिए खड़ा होना पड़ेगा।

    वहीं, युवक मंगल दल के अध्यक्ष सतेंद्र बुटोला का कहना है कि पिछले कई सालों से हम लोग इस स्रोत की दुर्दशा के कारण बहुत परेशानी झेल रहे थे। लेकिन, अब साफ-सफाई होने के बाद लोगों को फिर से पर्याप्त पानी मिल रहा है।

    वहीं, स्थानीय ग्रामीण प्रद्युम्न बुटोला का कहना है कि क्षेत्र में पानी का संकट गहराने पर भी जब अधिकारियों ने स्रोत की सुध नहीं ली तो हमने सिस्टम को आईना दिखाने के लिए यह कदम उठाया। आज लोग राहत की सांस ले रहे हैं।

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