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    अखरोट लगाकर निर्मल ने की ग्रामीणों के पलायन पर चोट

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 25 May 2017 02:30 AM (IST)

    निर्मल ने पछवादून के धर्मावाला में उद्यान विभाग के सहयोग से एक हेक्टेयर निजी भूमि पर निर्मल नर्सरी विकसित की है। बागवानी में उनके साथ क्षेत्र के किसान जुड़े और पलायन पर अंकुश लगा।

    अखरोट लगाकर निर्मल ने की ग्रामीणों के पलायन पर चोट

    त्यूणी, देहरादून [चंदराम राजगुरु]: सिंचाई साधनों के अभाव में खेतीबाड़ी से तौबा करने वाले ग्रामीण किसानों के लिए जौनसार के प्रगतिशील युवा किसान निर्मल तोमर उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं। उन्होंने कलमी अखरोट की ऐसी प्रजाति तैयार की है, जो पहाड़ की जलवायु के मुफीद तो है ही, कम समय में बेहतर उत्पादन भी देती है। 

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    निर्मल ने पछवादून के धर्मावाला में उद्यान विभाग के सहयोग से एक हेक्टेयर निजी भूमि पर निर्मल नर्सरी विकसित की है। इसमें विदेशी व स्थानीय प्रजाति के कलमी अखरोट, कलमी नींबू, आम, आडू़, खुमानी, अनार, बादाम, अमरूद व नाशपाती के अलावा अन्य पहाड़ी फलों की पौध तैयार की जा रही है। साथ ही वे ग्रामीण किसानों को खेती-बागवानी के गुर भी सिखा रहे हैं।

    देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार के थैना निवासी प्रगतिशील युवा किसान निर्मल तोमर ने खेती-बागवानी को जीवन का आधार बनाया है। पिता करम सिंह तोमर से मिली सीख के बाद इस युवा ने पहाड़ में बंजर पड़ी कृषि भूमि पर हरियाली लाने को खेतीबाड़ी की नवीनतम तकनीक विकसित की। 

    निर्मल के पिता ने उद्यान विभाग में अपने सेवाकाल के दौरान वर्ष 1983 में जौनसार से सटे पछवादून के धर्मावाला में करीब 23 बीघा कृषि भूमि खरीदी। सेवानिवृत्ति के बाद वे स्वयं भी यहीं बस गए। यहीं पहाड़ में मौसम आधारित खेती से तौबा कर चुके ग्रामीण किसानों को खेती-बागवानी से जोडऩे के लिए निर्मल ने कलमी अखरोट की नई प्रजाति विकसित की। इसके तीन हजार पौधे उनकी नर्सरी में हैं।

    निर्मल बताते हैं कि आमतौर पर पहाड़ में बिजु अखरोट ही उगाए जाते हैं। यह अखरोट आठ से दस साल में फल देता है। लेकिन, निम्न गुणवत्ता का होने के कारण बाजार में इसकी कम मांग है। जबकि, छोटे आकार का कलमी अखरोट तीन से चार साल में फल देता है। उन्नत किस्म के इस अखरोट की उत्पादन क्षमता ही नहीं, मांग भी ज्यादा है। 

    बताते हैं कि पहाड़ की जलवायु के हिसाब से कलमी अखरोट व नींबू की खेती ग्रामीण किसानों के लिए फायदेमंद है। इससे जंगली जानवरों के फसल को नुकसान पहुंचाने का खतरा भी नहीं है। निर्मल की इस पहल से आज आसपास के गांवों के 20-25 लोगों को घर पर ही रोजगार मिला हुआ है। खेती से आर्थिकी सुधारने को निर्मल जौनसार-बावर, गढ़वाल, रंवाई घाटी, जौनपुर व बंगाण क्षेत्र के कई गांवों का दौरा कर ग्रामीण किसानों को जागरूक कर रहे हैं। 

    नर्सरी में ये पौध हो रही तैयार

    निर्मल ने फ्रांस की लारा, चांडलर, केलनेट, फ्रेंकवीट व नॉलेशिया समेत पांच प्रजाति की उच्च गुणवत्ता वाली कलमी अखरोट की नर्सरी तैयार की है। इसमें वह कलमी नींबू, थाइलैंड के कलमी अमरूद, खुमानी, नाशपाती, पिकानट, भगवा ङ्क्षसदूरी अनार, सेब की अन्ना, माइकल, मयान, रोम ब्यूटी व आम की पूसा, लालिमा, श्रेष्ठ, पीतांबर, आम्रपाली समेत 80 प्रजाति के फलों की पौध तैयार कर रहे हैं। 

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