आइआइटी रुड़की ने पांच कंपनियां की ब्लैकलिस्ट
आइआइटी रुड़की ने ऑफर देने के बावजूद छात्रों को जॉब नहीं देने और जॉब देने में देरी करने वाली पांच कंपनियों को काली सूची में डाल दिया, जबकि दो कंपनियों को आगाह किया गया है।
रुड़की, [जेएनएन]: ऑफर देने के बावजूद छात्रों को जॉब नहीं देने और जॉब देने में देरी करने वाली पांच कंपनियों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने काली सूची में डाल दिया, जबकि दो कंपनियों को आगाह (वार्निंग) किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर आल इंडिया प्लेसमेंट काउंसिल (एआइपीसी) ने कुल 30 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया है। कंपनियां छात्रों के भविष्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ न हो, इसको देखते हुए इस तरह के सख्त कदम उठाए गए हैं।
वर्ष 2015-16 में देश की विभिन्न आइआइटी से बीटेक पास करने वाले छात्रों को तमाम कंपनियों की ओर से जॉब आफर मिलने के बाद अब कई कंपनियों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। कई कंपनियां जॉब देने में देरी कर रही हैं। ऐसे में पिछले दिनों आइआइटी कानपुर में हुई एआइपीसी की बैठक में इन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने का सख्त फैसला लिया गया है। इन सभी 30 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। उपरोक्त फैसले के क्रम में सभी आइआइटी अपने स्तर पर भी इन कंपनियों को काली सूची में डाल रही है।
आइआइटी रुड़की ने भी छात्रों को वादे के अनुसार नौकरी नहीं देने वाली पांच कपंनियों को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही दो कंपनियों को वार्निंग दी है। अब ये कंपनियां न तो संस्थान के कैंपस में आ सकती हैं और न ही एक साल तक कैंपस प्लेसमेंट में हिस्सा ले सकती हैं। आइआइटी रुड़की के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट के प्रोफेसर इंचार्ज डा. एनपी पाढ़ी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि कुछ कंपनियों ने छात्रों को प्लेसमेंट देने के बावजूद अब जॉब देने से इन्कार कर दिया है।
कुछ कंपनियां जॉब देने में देरी कर रही हैं। भविष्य में इस तरह की दिक्कतें पेश न आए, इसलिए कंपनियों के खिलाफ के बारे में कड़े फैसले लिए गए हैं। अब प्लेसमेंट के लिए कैंपस में आने वाली कंपनियों को लेकर संस्थान और अधिक सतर्क होगा। पहले केवल कंपनी के बारे में बेसिक जानकारी ही जुटाई जाती थी, लेकिन अब उनके संबंध में विस्तृत जानकारी हासिल की जाएगी। साथ ही कंपनी से रिटर्न स्टेटमेंट भी लिया जाएगा।
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ब्लैक लिस्ट होने वाली अधिकांश कंपनियां स्टार्ट अप
जानकारी के अनुसार एआइपीसी की ओर से जिन 30 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया है, उनमें अधिकांश कंपनियां स्टार्ट अप हैं। जो पिछले दो-चार साल पहले ही शुरू हुई हैं। उधर, इन कंपनियों के खिलाफ कोई और सख्त कार्रवाई करने से इसलिए भी संकोच कर रही हैं, क्योंकि इनमें से अधिकांश कंपनियों को संचालित करने वाले भी विभिन्न आइआइटी के पूर्व छात्र ही हैं।