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    आइआइटी रुड़की ने निष्‍कासित 18 छात्रों को वापस लिया

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Fri, 12 Aug 2016 12:16 PM (IST)

    आइआइटी रुड़की ने निष्‍कासित 18 छात्रों को वापस ले लिया है। बता दें कि छात्रों को उनके सेकंड सेमेस्‍टर में कम ग्रेड लाने पर बाहर निकाल दिया गया था। ...और पढ़ें

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    देहरादून। आइआइटी रुड़की ने निष्कासित 18 छात्रों को वापस ले लिया है। बीती देर शाम तक चली सीनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। बता दें कि छात्रों को उनके सेकंड सेमेस्टर में कम ग्रेड लाने पर बाहर निकाल दिया गया था। इसके इन छात्रों में भारी रोष व्याप्त था। पिछले साल संस्थान ने 72 छात्रों को कम ग्रेड लाने पर घर भेज दिया था। जिसमें से अधिकतर बाद में वापस आ गए थे।

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    टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आइआइटी रुड़की में छात्रों को कम से कम सीजीपीए ग्रेड पांच लाना जरूरी होता है। फर्स्ट ईयर के जिन 18 छात्रों को इंस्टीट्यूट से बाहर किया गया है उन्होंने एचआरडी मिनिस्ट्री से मदद की गुहार लगाई है। छात्रों ने मिनिस्ट्री को लिखे पत्र में कहा कि उनके आर्थिक हालात बेहद कमजोर हैं। अब उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। कुछ छात्रों ने पीएमओ को भी पत्र लिखा है।

    एक छात्र ने एचआरडी मिनिस्ट्री को लिखे गए पत्र में कहा, 'संस्थान से निकाले गए अधिकतर छात्र एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय से संबंध रखते हैं। इन छात्रों ने एंट्रेंस एग्जाम में लोअर कट ऑफ के साथ प्रवेश लिया है। उन्हें ज्यादा नंबर पाने वाले जनरल कैटिगरी के छात्रों के साथ मुकाबला करने का दबाव बनाया जाता है। सभी विषयों में पास होने के बावजूद इस ग्रेडिंग सिस्टम की वजह से हमें हमेशा लोअर ग्रेड मिलते हैं और कम ग्रेड मिलने पर हमें संस्थान छोड़ने को कहा जाता है।

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    संस्थान के नोडल ऑफिर प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने बताया कि मुझे पीएमओ की तरफ से भेजा गया पत्र मिल गया है। अब यह डीन के ऊपर है कि उन्हें क्या करना है। हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। अगर कोई भी जवाब मिलता है तो मैं छात्रों को तुरंत लिखकर बताऊंगा।

    वहीं, आइआइटी रुड़की की सीनेट छात्रों को निष्कासित करने के अपने निर्णय पर फिर से विचार करने को बैठक की। उसमें छात्रों को वापस लेने का निर्णय लिया गया।

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