उत्तराखंड की पूजा और अंकुर ने फतह किया एवरेस्ट
उत्तराखंड के एनसीसी कैडेट पूजा मेहरा और सेना के जवान अंकुर रावत ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। एवरेस्ट फतह कर दोनों उत्तराखंड का मान बढ़ाया है।
देहरादून। राजकीय बालिका इंटर कालेज पाये की छात्र व गरुड़ के तैलीहाट निवासी पूजा मेहरा ने एवरेस्ट फतह कर लिया है। वहीं शिक्षानगरी रुड़की के पनियाला रोड स्थित विनीत नगर निवासी नायक अंकुर रावत ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया। पूजा उत्तराखंड की एकमात्र एनसीसी कैडेट है, जिसका चयन एवरेस्ट फतह के लिए हुआ है।
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एवरेस्ट फतह में भारत के 25 एनसीसी केंद्रों की दस बालिकाओं ने प्रतिभाग किया था। तैलीहाट निवासी चंदन सिंह मेहरा व गीता मेहरा की पुत्री पूजा ने इससे पहले हिमांचल, दार्जीलिंग समेत उत्तराखंड की त्रिशूल व सियाचीन की चोटियां सफलता पूर्वक फतह की हैं। जिस पर उसका चयन उत्तराखंड एनसीसी द्वारा एवरेस्ट फतह के लिए किया गया था। अपने इस मिशन को पूरा करने के लिए पूजा ने बोर्ड परीक्षा छोड़ दी थी। पूजा को मार्च में एवरेस्ट फतह के लिए दिल्ली में रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने तिरंगा सौंपकर रवाना किया था। इसके बाद पूजा ने नेपाल में लगभग दो माह का प्रशिक्षण लेकर एवरेस्ट फतह की बारीकियां सीखी। राजकीय बालिका इंटर कालेज पाये की प्रधानाचार्या प्रेमा भट्ट ने बताया कि पूजा ने एवरेस्ट फतह कर इतिहास रचा है।
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दूसरी ओर, सेना ने लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जम्वाल के नेतृत्व में 30 मार्च को एवरेस्ट मैसिफ एक्सपिडिशन 2016 दिल्ली से रवाना हुआ था। इस 30 सदस्यीय दल में रुड़की निवासी आर्मी आर्डीनेंस कोर के नायक अंकुर रावत भी शामिल थे। 19 मई की सुबह छह बजकर 10 मिनट पर टीम ने एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया। अंकुर रावत के पिता नारायण सिंह रावत ने बताया कि अंकुर के एवरेस्ट फतह कर उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि अंकुर को बचपन से ही एडवेंचर में रुचि रही है। कहा कि बेटे की इस सफलता से वह गदगद हैं। बता दें कि गत वर्ष नेपाल में 7.9 तीव्रता के भूकंप आने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जम्वाल के नेतृत्व में एवरेस्ट फतह करने वाली यह पहली टीम है।
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