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    उत्‍तराखंड में 'जादुई छड़ी' से हो रही वाहनों की फिटनेस

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Wed, 07 Dec 2016 12:21 PM (IST)

    उत्‍तराखंड में हालत ये है कि एक वाहन की फिटनेस जांच को जहां आधा घंटा लगता है, उससे कम समय में परिवहन विभाग लगभग 25 वाहनों को 'जादुई छड़ी' से जांच कर हरी झंडी दे देता है।

    देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: उत्तराखंड में दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन वाहनों की फिटनेस जांच की 'जादुई छड़ी' छोड़ने को परिवहन विभाग तैयार नहीं। अधिकतर हादसों की तकनीकी जांच में वाहन अनफिट पाए जाते हैं, लेकिन हैरत देखिए कि परिवहन विभाग द्वारा उन्हें 'फिट' का प्रमाण पत्र मिला होता है।
    शायद यही है सांठगांठ का खेल। इसे रोकने के लिए 2009 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने ऋषिकेश में ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया लेकिन सात साल बीतने के बाद भी इसका निर्माण अधूरा है। इस अंतराल में इसका बजट भी तीन करोड़ रुपये से बढ़कर दोगुना हो गया है।
    हालत ये है कि एक वाहन की फिटनेस जांच को जहां आधा घंटा लगता है, उससे कम समय में परिवहन विभाग लगभग 25 वाहनों को 'जादुई छड़ी' से जांच कर हरी झंडी दे देता है। आरटीओ और एआरटीओ कार्यालयों में ये 'खेल' वर्षों से चल रहा है। मगर सरकार इसे लेकर संजीदा नहीं।

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    राज्य में इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जब परिवहन मंत्रालय डेढ़ वर्ष मुख्यमंत्री हरीश रावत के पास रहा, तब भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान परिवहन मंत्री नवप्रभात ने तो इस तरफ कभी ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा। परिवहन कार्यालयों में जितनी तेजी से नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन चल रहा उतनी ही तेजी से पुराने वाहनों की फिटनेस जांच भी निबटाई जा रही। हालात ये हैं कि परिवहन कर्मियों को फिटनेस मानकों तक की भी जानकारी नहीं। सिर्फ भौतिक जांच कर वाहन को फिट या अनफिट का प्रमाण पत्र थमाया जा रहा।
    पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में इस वर्ष एक जनवरी से 31 अगस्त तक कुल 1075 हादसों में 641 लोगों की जान गई। इनमें 1014 लोग घायल हुए। हादसों की जांच में ज्यादातर कारण ओवरलोडिंग या ओवरस्पीड रहा, मगर वाहन खराबी के मामले भी सामने आए। हालांकि, वाहन में खराबी का आंकड़ा बेहद चिंताजनक नहीं है लेकिन ऐसे वाहनों से जो भी हादसे हुए उनमें प्रति वाहन छह से दस लोगों ने जान गवाईं। इनमें यूटिलिटी, मैक्स व निजी बसें शामिल हैं।
    ऋषिकेश टेस्टिंग लेन कब होगी पूरी
    चारधाम यात्रा में दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने और व्यवस्था चाक-चौबंद करने के मसकद से सरकार ने ऋषिकेश में आटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया। इसके लिए श्यामपुर बाइपास पर बीबीवाला में वन विभाग की एक हेक्टेयर भूमि परिवहन विभाग को ट्रांसफर कर दी गई। टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई मगर इसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। न विभाग ने रूचि ली, न ही सरकार ने। यात्रा सीजन में रोजाना सैकड़ों वाहन ऋषिकेश पहुंचते हैं मगर इनकी भौतिक जांच कर फिटनेस का सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है। आटोमेटेड टेस्टिंग लेन में यह काम कंप्यूटराइज्ड होना है। माना जा रहा है कि अगले वर्ष अप्रैल तक टेस्टिंग लेन बनकर तैयार हो जाएगी।

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    22 कार्यालय, फिटनेस जांच अधिकारी महज सात
    प्रदेश में परिवहन विभाग के चार संभाग कार्यालय और 18 उप संभाग कार्यालय हैं। सभी में फिटनेस जांच होती है, लेकिन चौकानें वाली बात ये है कि 18 उप संभाग में महज सात ही सहायक संभाग निरीक्षक (एआरआइ) हैं, जबकि संभाग कार्यालयों में तो एक भी संभाग निरीक्षक (आरआइ) नहीं। देहरादून, पौड़ी, हल्द्वानी व अल्मोड़ा संभाग कार्यालय में गुजरे तीन से चार वर्ष से आरआइ के पद खाली पड़े हैं। हां, गत दिनों उप संभाग कार्यालयों में एआरआइ के छह पदों पर चयन प्रक्रिया समाप्त हुई, लेकिन नए अधिकारियों को प्रशिक्षण और नियुक्ति में करीब दो माह का वक्त लगेगा।
    सुबह अनफिट, शाम को फिट

    फिटनेस जांच में आरटीओ में दलालों का बड़ा नेटवर्क काम करता है। जो वाहन सुबह अनफिट करार दिए जाते हैं, दलालों का नेटवर्क शाम तक इन्हें 'परफेक्ट' का सर्टिफिकेट दिला देता है।

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    फिटनेस के मानक
    -वाहन के इंजन व एक्सीलेटर की जांच
    -स्टेयरिंग लॉक की जांच
    -इंडीकेटर, वाइपर, रिफ्लेक्टर, ब्रेक और टॉयर की जांच
    -ड्राइवर केबिन का पार्टिशन, हेड लाइट आदि की जांच वाहन के अनुरूप
    -निजी वाहनों को 15 साल में फिटनेस जांच करानी होती है
    -व्यावसायिक वाहनों को हर साल जांच के लिए वाहन आरटीओ लाना अनिवार्य
    -पर्वतीय क्षेत्र के व्यावसायिक वाहनों की हर छह माह में फिटनेस जांच अनिवार्य
    आरटीओ देहरादून सुधांशु गर्ग के अनुसार अभी वाहनों को भौतिक तौर पर जांचा जा रहा है। वाहनों की जांच कर ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है। ऋषिकेश में टेस्टिंग लेन का काम जल्द पूरा होगा।
    महानगर बस सेवा के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि वाहनों की फिटनेस कंप्यूटराइज्ड तरीके से ही होनी चाहिए। इससे आरटीओ दफ्तर में फैला दलालों का नेटवर्क बंद होगा एवं दुर्घटनाओं पर भी लगाम लगेगी।

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