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    अब उत्तराखंड की सीमाओं पर रहेगी सीसी कैमरों से नजर

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2016 06:00 AM (IST)

    सरकार प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय एवं राज्य की सीमाओं पर सीसी कैमरे लगाने की कवायद शुरू करने जा रही है। इसके तहत रदेश में 50 से अधिक स्थानों को कैमरे लगाने के लिए चिह्नित किया गया है।

    देहरादून, [विकास गुसाईं]: सरकार प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय एवं राज्य की सीमाओं पर सीसी कैमरे लगाने की कवायद शुरू करने जा रही है। इसके तहत विभाग की ओर से प्रदेश में 50 से अधिक स्थानों को कैमरे लगाने के लिए चिह्नित किया गया है। इन स्थानों पर 100 कैमरे लगाने पर विचार किया जा रहा है। इसमें तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये का खर्च आने का आकलन किया गया है। माना जा रहा है कि वित्तीय भार को देखते हुए फिलहाल कुछ स्थानों को छोड़ा भी जा सकता है।
    हाल ही में लोकसभा में देश के सभी प्रदेशों को सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत करने के लिए सीमाओं पर कैमरे लगाने की बात उठी थी। इसका उद्देश्य यह था कि इससे प्रदेशों से जुड़ी राज्य की सीमा व अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। चूंकि उत्तराखंड सीमांत राज्य है। इससे चीन और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं लगी हैं और यहां कई अहम सैन्य संस्थान स्थापित है। लिहाजा इससे यहां की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

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    बीते कुछ समय से यह क्षेत्र आतंकी गतिविधियां बढ़ने के साथ हमलों की जद में भी है। इसे देखते हुए सीमाओं पर निगरानी करना बेहद अहम हो जाता है। इसके लिए केवल चौकियों और सुरक्षाकर्मियों के ही भरोसे नहीं रहा जा सकता।
    यही कारण है कि शासन ने प्रदेश में सीमांत जिलों पिथौरागढ़ व चंपावत के साथ ही देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर आदि की सीमाओं पर सीसी कैमरे लगाने की योजना बनाई है। योजना के तहत गढ़वाल में आठ स्थानों पर आठ और कुमाऊं में 42 स्थानों पर तकरीबन 92 कैमरे लगाए जाने प्रस्तावित हैं। इसमें तकरीबन एक करोड़ 60 लाख रुपये का खर्च आने की संभावना है।

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    इन स्थानों पर कैमरा लगाने से सीमाओं की सारी गतिविधियां इनमें कैद हो सकेंगी। इससे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति अथवा वाहन के सीमाओं में प्रवेश करने के संबंध में सटीक जानकारी भी शासन के पास रहेगी।
    चूंकि, इसमें काफी भारी भरकम खर्च आ रहा है इसे देखते हुए शासन अभी यह देख रहा है कि किन मदों से कैमरों की व्यवस्था की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो बजट कम होने की स्थिति में शुरुआती चरण में केवल अहम स्थानों पर ही इन कैमरों को लगाया जा सकता है।
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