Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्‍तराखंड: पीडीएफ ने बढ़ाया सियासी तापमान

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Fri, 27 May 2016 11:00 AM (IST)

    राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट के लिए कांग्रेस सरकार के सहयोगी प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट की दावेदारी ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

    देहरादून। राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट के लिए कांग्रेस सरकार के सहयोगी प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट की दावेदारी ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गत चार साल से हर प्रकार की परिस्थिति में कांग्रेस के साथ खड़े रहे पीडीएफ के इस बदले स्टैंड को लेकर सियासी हलकों में भी कयासबाजी का सिलसिला तेज हो गया है। कोई इसे राज्यसभा चुनाव में बाहर से पैराशूट उम्मीदवार थोपे जाने की संभावना को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा बता रहा है, तो कोई पीडीएफ और कांग्रेस के बीच रूठने-मनाने की सियासत का नाम दे रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें:-बदले की भावना से काम कर रहे मुख्यमंत्री: हरक सिंह रावत


    वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद गैर कांग्रेसी विधायकों ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन दिया था, जिसे वे अब तक निभाते आ रहे हैं। गत चार वर्षों में प्रदेश की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए, मगर पीडीएफ कांग्रेस के साथ खड़ा रहा। प्रदेश में राजनीतिक संकट के दौर में जब कांग्रेस से खुद उसके ही नौ विधायक टूट गए, उस वक्त भी पीडीएफ ने कांग्रेस के साथ पूरी ईमानदारी से गठबंधन धर्म का निर्वहन किया। ऐसे में राज्यसभा की रिक्त हो एक रही सीट के चुनाव को लेकर पीडीएफ के बदले रुख ने सबको चौंका दिया है।
    राजनीतिक हलकों में पीडीएफ के ताजा स्टैंड की वजह को लेकर कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। राज्यसभा की सीट के लिए पीडीएफ की ओर से की जा रही दावेदारी के पीछे कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व की ओर से हर बार बाहरी उम्मीदवार थोपे जाने की प्रवृति को भी वजह बताया जा रहा है। इसे बाहरी पैराशूट उम्मीदवार की संभावना खत्म करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

    पढ़ें:-उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत के जवाब से सीबीआइ संतुष्ट नहीं

    हालांकि, चर्चा यह भी है कि पीडीएफ के कुछ मंत्री अपने इस स्टैंड के जरिए कुछ मामलों में मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी नाराजगी व्यक्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
    इतना ही नहीं, टिहरी जिले की एक सीट पर चुनाव लड़ चुके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से भी इस पूरे घटनाक्रम को जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, पीडीएफ की इस हठ की क्या वजह है, खुद पीडीएफ भी इसका खुलासा करने से बचता नजर आ रहा है। अलबत्ता, पीडीएफ का तर्क यह है कि राज्यसभा के चुनाव में पीडीएफ पिछले तीन बार से ही कांग्रेस को समर्थन देता आ रहा है। ऐसे में गठबंधन धर्म निभाने के लिए इस बार कांग्रेस को पीडीएफ का समर्थन करना चाहिए।

    'राज्यसभा चुनाव के लिए पीडीएफ ने जो स्टैंड लिया है, उस पर पूरी तरह कायम है। यह न तो किसी बाहरी उम्मीदवार को रोकने की रणनीति और न पीडीएफ व कांग्रेस के रिश्तों में कोई खटास है। वजह सिर्फ इतनी है कि पीडीएफ की तरह अब कांग्रेस को भी गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए। तभी परस्पर सहयोग की बात सार्थक होगी।'
    -दिनेश धनै, पर्यटन मंत्री व पीडीएफ के सदस्य

    पढ़ें:-उत्तराखंड: विधायक भीमलाल पर फिर लटकी तलवार