अब भूकंप आने से काफी पहले ही मिल जाएगी चेतावनी
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने उस संकेत की पहचान कर ली, जो भूकंप आने से पहले मिलते हैं। ऐसे में अब भूकंप आने का अनुमान लगाना आसान हो सकेगा।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: भूकंप के पूर्वानुमान की दिशा में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को बड़ी सफलता हाथ लगी है। मल्टी पैरामीट्रिक जियोफिजिकल ऑब्जर्वेट्री के आंकड़ों के विश्लेषण से वैज्ञानिकों ने रेडान (गैस) उत्सर्जन, चुंबकीय प्रभाव व गुरुत्वाकर्षण के उन बदलावों की पहचान कर ली है, जो भूकंप आने से पहले होते हैं। अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप से 15 दिन पहले के आंकड़ों में भी यही बदलाव पाए गए।
वाडिया संस्थान ने टिहरी जिले के सुदुरवर्ती क्षेत्र घुत्तू में मल्टी पैरामीट्रिक जियोफिजिकल ऑब्जर्वेट्री स्थापित कर रखी है। इस ऑब्जर्वेट्री से भूकंप के पूर्वानुमान के लिए धरती से उठने वाली सभी तरह की तरंगों और प्रभावों को चौबीसों घंटे रिकॉर्ड किया जाता है।
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संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि नेपाल भूकंप से पहले के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि धरती की गुरुत्वाकर्षण में कुछ कमी आ गई थी। ऐसा इसलिए हुआ कि भूकंप से पहले धरती के भीतर टेक्टोनिक प्लेटों में तनाव बढ़ने लगता है और फॉल्ट का आकार बढ़ जाता है।
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यही नहीं रेडॉन गैस के उत्सर्जन में भी इजाफा पाया गया। भूकंप आने से पहले उत्सर्जन सामान्य स्थिति से अधिक हो गया। कुछ ऐसे ही असामान्य बदलाव धरती के चुंबकीय प्रभाव में भी पाए गए।
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डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि ऑब्जर्वेट्री के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि इन सभी बदलावों की अवधि भूकंप से 15 दिन पहले पाई गई। हिमालयी क्षेत्र में पांच रिक्टर स्केल से ऊपर के कुछ अन्य भूकंप से पहले के आंकड़ों का भी इस आधार पर विश्लेषण किया गया।
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सभी में इस तरह के परिवर्तन पाए गए। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यह भूकंप के पूर्वानुमान की दिशा में बड़ा कदम है। हालांकि अभी यह पता लगा पाना संभव नहीं कि ऐसे बदलाव किस क्षेत्र में भूकंप आने की तरफ इशारा कर रहे हैं। हालांकि भविष्य में जब ऐसे संकेत मिलेंगे तो पूरे हिमालयी क्षेत्र को सतर्क किया जा सकता है।
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ऑब्जर्वेट्री से मिलेगा तत्काल डाटा
अभी वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की ऑब्जर्वेट्री से रियल टाइम (तत्काल) डाटा नहीं मिल पाता है। एक निश्चित अंतराल में वैज्ञानिक डाटा एकत्रित करते हैं। वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के अनुसार भूकंप के पूर्वानुमान की दिशा में मिली इस सफलता के बाद जल्द ही ऑब्जर्वेट्री को सेटेलाइट सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
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