कैसे हुई हिमालय की उत्पत्ति, वैज्ञानिक जल्द खोलेंगे इसका राज
हिमालय की उत्पत्ति को लेकर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान पहली बार लेजर फिलोरीनेशन सिस्टम पर काम कर रहा है। इससे हिमालय की उत्पत्ति के राज भी सामने लाने में मदद मिलेगी।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: जब हिमालय की उत्पत्ति हुई, उस समय हिमालय का तापमान कितना रहा होगा, यह पता लगाने के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान पहली बार लेजर फिलोरीनेशन सिस्टम पर काम कर रहा है। इससे हिमालय की उत्पत्ति के राज भी सामने लाने में मदद मिलेगी। वाडिया के वैज्ञानिकों ने केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के समक्ष शोध का ब्योरा रखा।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की स्टेबल आइसोटोप लैब (स्थाई समस्थानिक प्रयोगशाला) का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों से पूछा कि प्रयोगशाला में सबसे महत्वपूर्ण किस शोध पर काम चल रहा है।
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संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. समीर के तिवारी ने उन्हें बताया कि हिमालय की उत्पत्ति के समय वास्तविक तापमान का पता लगाने के लिए लेजर फिलोरीनेशन सिस्टम पर शोध कार्य किया जा रहा है। इसके तहत सिलिकेट पत्थर के मिनरल पर अध्ययन किया जा रहा है।
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उन्होंने बताया कि अध्ययन के लिए उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र व लद्दाख से सिलिकेट पत्थर के नमूने लिए गए हैं। बाद में हिमालय के अन्य क्षेत्रों से भी सिलिकेट पत्थर के नमूने लिए जाएंगे। शोध के दौरान इन पत्थरों को तोड़कर ऑक्सीजन को रिलीज किया जाएगा।
इस ऑक्सीजन का विशेष तकनीक से मापन कर यह पता किया जाएगा कि जिस समय हिमालय का निर्माण हुआ, तब तापमान कितना रहा होगा। इसके साथ ही शोध से हिमालय की उत्पत्ति के तमाम राज भी सामने आ जाएंगे।
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इस दौरान केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह शोध हिमालय को समझने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। यह अछी बात है कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान पहली बार इस तकनीक के माध्यम से हिमालय की उत्पत्ति के राज खोलने जा रहा है।
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