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    कमजोर नहीं, मजबूत हैं निम्न हिमालय की चट्टानें

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 02 Jun 2016 12:47 PM (IST)

    24 सौ किलोमीटर लंबी श्रंखला में फैले लेसर (निम्न) हिमालय की चट्टानों को कमजोर बताने वाली अवधारणा टूट गई है। अध्ययन में यहां के भूभाग को काफी मजबूत बताया गया है।

    देहरादून। 24 सौ किलोमीटर लंबी श्रंखला में फैले लेसर (निम्न) हिमालय की चट्टानों को कमजोर बताने वाली अवधारणा टूट गई है। उत्तराखंड की कुमाऊं यूनिवर्सिटी व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के साझा अध्ययन में यहां के भूभाग को काफी मजबूत बताया गया है।

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    अध्ययन में पाया गया कि भले ही निम्न हिमालय का निर्माण ग्रेट (उच्च) हिमालय की चट्टानों के टूटने से बना हो, मगर जिस प्रक्रिया से चट्टाने टूटकर निम्न हिमालय के रूप में अस्तित्व में आई हैं, उससे इसकी जड़ें बेहद गहरे तक जमी हैं। इस साझा शोध को वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में चल रही नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में गुरुवार को प्रस्तुत किया जाएगा।
    कुमाऊं यूनिवर्सिटी के भूविज्ञान विभाग के शोधार्थी मोहित पूनिया के अनुसार अध्ययन के लिए टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच 65 किलोमीटर हिस्से की 01:1000 स्केल पर मैपिंग की गई। यानी जमीन के न्यूनतम 10 मीटर तक के भाग को अध्ययन में शामिल किया गया।

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    इसके साथ ही थर्मोक्रोनोलॉजी तकनीक से चट्टानों की मजबूती का आकलन किया गया। पता चला कि यहां की चट्टानों का निचला हिस्सा रूपांतरित अवसादी (सेडीमेंट्री) चट्टानों का है और ऊपरी हिस्सा आग्नेय चट्टानों (क्रिस्टलाइन रॉक्स) का है।
    उच्च हिमालय से टूटकर बनी निम्न हिमालय श्रंखला का निर्माण 2.5 करोड़ साल पहले हुआ और इसकी गहराई धरती के भीतर 25 किलोमीटर तक है। शोधार्थी पूनिया के अनुसार मजबूती के मामले में सिर्फ उच्च हिमालय की आग्नेय चट्टानें हीं अब निम्न हिमालय से मजबूत हैं।

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    शिवालिक व टेथिस हिमालय की चट्टानों की मजबूती पर पहले ही अध्ययन किया गया है, जिसमें इनका निर्माण अवसादी चट्टानों से पाया गया, जो सबसे कमजोर मानी जाती हैं।
    निम्न हिमालय में ये हिस्से शामिल
    उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का अल्मोड़ा व आसपास के क्षेत्र, गढ़वाल की लैंसडौन भूभाग की बेल्ट, हिमाचल प्रदेश का रामपुर व करीबी भूभाग, नेपाल का काठमांडू क्षेत्र, अरुणाचल प्रदेश का वांगथू क्षेत्र, भूटान का पारो आदि भूभाग।
    हिमालय के साथ नहीं बना निम्न हिमालय
    कुमाऊं यूनिवर्सिटी के शोधार्थी मोहित पूनिया ने बताया कि 6.50 करोड़ साल पहले जब भारतीय व यूरेशियन प्लेट की टकराहट से हिमालय की उत्पत्ति हुई तो उस समय निम्न हिमालय नहीं बना था। इसके करीब चार करोड़ साल बाद दोबारा हुई धरातलीय हलचल से निम्न हिमालय अस्तित्व में आया। अध्ययन में पता चला कि यहां की चट्टानों का निर्माण उच्च हिमालय से टूटकर हुआ है।
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