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उत्तराखंड में नए जिलों के गठन पर सियासत हुई तेज

कांग्रेस की मौजूदा प्रदेश सरकार की ओर से चुनावी साल में नए जिलों और विकासखंडों के गठन की कवायद के बीच अब इस मुद्दे पर दलीय सियासत भी गरम होती नजर आ रही है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2016 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2016 01:34 PM (IST)

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: कांग्रेस की मौजूदा प्रदेश सरकार की ओर से चुनावी साल में नए जिलों और विकासखंडों के गठन की कवायद के बीच अब इस मुद्दे पर दलीय सियासत भी गरम होती नजर आ रही है।

नए जिलों का गठन कर सियासी लाभ लेने की कांग्रेस की रणनीति के जवाब में भाजपा ने अब पार्टी की पिछली सरकार के समय घोषित चार जिलों के निर्माण को लेकर मुहिम तेज कर दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने अब मुख्यमंत्री को 400 वां पत्र भेज चार जिलों का गठन पहले किए जाने की मांग की है।

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वर्ष 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वतंत्रता दिवस के दिन चार नए जिलों यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत और डीडीहाट के निर्माण की घोषणा की थी। इसके कुछ दिन बाद ही निशंक को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा और भुवन चंद्र खंडूड़ी दोबारा मुख्यमंत्री बने।

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खंडूड़ी के समय इन चार जिलों के गठन का बकायदा शासनादेश जारी कर दिया गया। कुछ महीनों बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता से बेदखल हो गई और कांग्रेस के हाथ सत्ता आ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने चारों नए जिले बनाने का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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सरकार ने नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन के लिए आयोग बना यह मामला उसके हवाले कर दिया। इस बीच पिछले कुछ महीनों से राज्य में नए जिलों के गठन की कवायद ने अचानक जोर पकड़ लिया। आयोग ने बकायदा आठ नए जिलों का खाका भी तैयार कर लिया मगर गत मार्च में हुई सियासी उठापटक के कारण इस प्रस्ताव को कैबिनेट में नहीं लाया जा सका।

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अब फिर से राज्य में नए जिलों के गठन की चर्चाएं सियासी गलियारों में सुनी जा रही हैं। माना जा रहा है कि ऐन विधानसभा चुनाव से पहले सरकार नए जिलों की घोषणा कर इसका राजनैतिक फायदा उठाने की रणनीति अमल में ला सकती है।
कांग्रेस की इस रणनीति को भांपते हुए अब भाजपा भी नए जिलों के गठन की स्थिति में इसका श्रेय लेने की तैयारी में है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने प्रदेश में चार नए जिले बनाने के लिए शुक्रवार को मुख्यमंत्री को 400 वां पत्र लिखा।

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इन जिलों में रानीखेत, डीडीहाट, कोटद्वार व यमुनोत्री शामिल हैं। भट्ट ने कहा कि भाजपा हमेशा छोटी प्रशासनिक इकाइयों के पक्ष में रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में भाजपा सरकार के समय चार नए जिलों के गठन का निर्णय लिया गया था।

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इनमें दो जिले गढ़वाल व दो जिले कुमाऊं में बनाए जाने थे। भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत अब नए जिलों को बनाने का बात कर रहे हैं लेकिन भाजपा का कहना है कि कांग्रेस सरकार पहले भाजपा सरकार के समय घोषित चार जिले बनाने के शासनादेश को पुनर्जीवित करे और ये चार जिले बनाए। इसके साथ और जो जिले बनाने हैं, उनका प्रस्ताव लाए, भाजपा उसका भी समर्थन करेगी।
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