केदारनाथ में दिवंगत श्रद्धालुओं की आत्मशांति को मानसरोवर में पिंडदान
केदारनाथ आपदा में दिवंगत हुए श्रद्धालुओं की आत्मशांति के लिए कैलाश-मानसरोवर में पिंडदान व तर्पण किया गया।
देहरादून, [जेएनएन]: केदारनाथ आपदा में दिवंगत हुए श्रद्धालुओं की आत्मशांति के लिए कैलाश-मानसरोवर में पिंडदान व तर्पण किया गया। कैलास-मानसरोवर यात्रा के 18वें जत्थे के समन्वय अधिकारी एवं गढ़वाल रेंज के आइजी संजय गुंज्याल ने मैनपुरी के आशुतोष महाराज के सानिध्य में विधि-विधान पूर्वक कर्मकांड संपन्न कराया।
गुरुवार को कैलास-मानसरोवर यात्रा से लौटे आइजी गुंज्याल ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में पत्रकारों को यह जानकारी दी। गुंज्याल आठ सितंबर को यात्रा पर जाने वाले 18वें एवं अंतिम जत्थे के समन्वय अधिकारी थे। उन्होंने बताया कि परंपरा के अनुसार कैलास-मानसरोवर में पिंडदान व तर्पण से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है। इसी के मद्देनजर केदारनाथ आपदा में दिवंगत हुए श्रद्धालुओं की आत्मशांति को पिंडदान व तर्पण कराया गया। इस अनुष्ठान मैनपुरी के आशुतोष महाराज ने पुरोहित की भूमिका निभाई। बता दें कि 2013 की केदारनाथ आपदा में हजारों श्रद्धालु मारे गए थे और हजारों का आज तक कोई पता नहीं चल पाया।
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712 ने की कैलास-मानसरोवर यात्रा
हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ कैलास-मानसरोवर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इस बार 712 रही। आइजी गढ़वाल के नेतृत्व में गया दल उत्तराखंड के लिप्पूलेख दर्रे से कैलास-मानसरोवर पहुंचा। इस रास्ते कुल दस दल कैलास गए, जबकि शेष आठ दल सिक्किम के नाथूला दर्रे से कैलास-मानसरोवर पहुंचे।
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38 यात्री थे दल में
लिप्पूलेख दर्रे के रास्ते कैलास-मानसरोवर यात्रा पर गए दल में तीन प्रवासी भारतीयों समेत दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक व उड़ीसा के कुल 38 यात्री शामिल थे।
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