राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्टिंग को एनटीसीए की हरी झंडी
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) के दक्षिणी हिस्से में पांच बाघों को शिफ्ट करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
ऋषिकेश, [दीपक जोशी]: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) के दक्षिणी हिस्से में पांच बाघों को शिफ्ट करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। आरटीआर प्रशासन का दावा है कि छह माह के भीतर रिजर्व के दूसरे हिस्सों के साथ ही कार्बेट टाइगर रिजर्व से शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी।
सबसे पहले दो मादा बाघों की मौजूदगी वाले मोतीचूर रेंज में एक नर बाघ को छोड़ा जाएगा। इसके बाद मोतीचूर, बेरीवाड़ा व धौलखंड क्षेत्र में तीन मादा और एक नर बाघ शिफ्ट किए जाएंगे। इसके साथ ही राजस्थान के सरिस्का और मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के बाद उत्तराखंड ऐसा करने वाला तीसरा राज्य बन जाएगा।
राजाजी टाइगर रिजर्व के चीला, गौहरी, श्यामपुर क्षेत्रों में दो दर्जन से अधिक बाघों की मौजूदगी है, लेकिन दक्षिणी हिस्से में स्थित मोतीचूर, बेरीवाड़ा व धौलखंड क्षेत्र इस लिहाज से बेहद पीछे हैं। यहां सिर्फ दो बाघिनों की ही मौजूदगी है। इसे देखते हुए चार साल से यहां दूसरे क्षेत्रों से बाघ शिफ्ट करने की कसरत चल रही है। आरटीआर के निदेशक सनातन सोनकर बताते हैं कि सप्ताहभर पहले एनटीसीए ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। शासन से भी इसकी अनुमति मिल चुकी है।
उन्होंने बताया कि अब बाघ शिफ्टिंग की योजना पर तेजी से कार्य चल रहा है। हालांकि, यह खुलासा नहीं किया कि आरटीआर व कार्बेट टाइगर रिजर्व के किस हिस्से से पांच बाघ (दो नर व तीन मादा) शिफ्ट किए जाएंगे। साथ ही कहा कि शिफ्टिंग की प्रक्रिया छह माह में पूरी कर ली जाएगी।
इन बाघों पर नजर रखने के लिए चुनिंदा कर्मचारियों को एनटीसीए और भारतीय वन्य जीव संस्थान के दिशा-निर्देशोंके अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ई-सर्विलांस से निगरानी के मद्देनजर कैमरा ट्रैप भी लगा दिए गए हैं।
सोनकर के मुताबिक रिजर्व के दक्षिणी हिस्से में बाघों के लिए बेहतर पर्यावास है। दूसरे स्थानों से यहां बाघ शिफ्ट किए जाने से रिजर्व में बाघों के कुनबे में बढ़ोत्तरी होगी ही, क्षेत्र के पारिस्थितिकीय तंत्र को भी मजबूती मिलेगी।
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