घूसखोरी में आयकर अफसर को दस साल का कारावास
घूसखोरी में पकड़े गए आयकर अधिकारी को सीबीआइ कोर्ट ने दस साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पर दो लाख रुपये का अर्थदंड भी अदालत ने ठोका।
देहरादून, [जेएनएन]: घूसखोरी में पकड़े गए आयकर अधिकारी को सीबीआइ कोर्ट ने दस साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पर दो लाख रुपये का अर्थदंड भी अदालत ने ठोका। जुर्माने की अदायगी न करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार अरुण कुमार रंजन मूल निवासी ग्राम बांकेरवा पोस्ट परसौना थाना परसा जिला छपरा (बिहार) हाल निवासी सनी डेल कॉलोनी रुद्रपुर वर्ष 2014 में रुद्रपुर (उधमसिंहनगर) में आयकर अधिकारी रूप तैनात थे। उनके पास रुद्रपुर आयकर कार्यालय का प्रभार था।
मई 2014 में रुद्रपुर के कारोबारी जत्तार को आयकर से जारी नोटिस को खत्म करने के की एवज में उन्होंने 12 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। जत्तार के इतने रुपये देने में असमर्थता जाहिर करने पर सौदा पांच लाख रुपये में तय हुआ।
इस बीच, जत्तार ने इसकी शिकायत सीबीआइ देहरादून कार्यालय में कर दी। 29 मई 2014 को बिल्डर पवन अग्रवाल निवासी सनी डेल कॉलोनी रुद्रपुर के घर पर पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते सीबीआइ इंस्पेक्टर अखिल कौशिक की टीम ने रंगे हाथ पकड़ लिया।
इंस्पेक्टर तेज प्रकाश देवरानी ने दो माह की विवेचना के बाद 17 जुलाई 2014 को आरोप पत्र विशेष न्यायाधीश सीबीआइ अनुज कुमार संगल की अदालत में दाखिल कर दिया। अभियोजन पक्ष के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश कुमार की ओर से सुनवाई के 14 गवाह अदालत में पेश किए गए, जब बचाव पक्ष की ओर से कुल पांच गवाह पेश हुए।
फैसला सुनाते हुए जज अनुज कुमार संगल ने आयकर अधिकारी अरुण कुमार रंजन को रिश्वत लेने का दोषी मानते हुए दस साल कैद और दो लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अदालत ने सुनाई अधिकतम सजा
आयकर अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए रिश्वत लेने को सीबीआइ कोर्ट ने बेहद गंभीर माना और अधिकतम सजा सुनाई। हाल के वर्षों में यह पहला मामला है, जबकि रिश्वत के मामले में किसी दोषी को अदालत ने अधिकतम सजा का ऐलान किया है।
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