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    शिकारियों की करतूत: भारत में हर साल 46 बाघों का शिकार

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 24 Feb 2017 05:08 AM (IST)

    देश में वर्ष 1995 से अब तक के परिदृश्य को देखें तो हर साल ही औसतन 46 बाघों को शिकारियों व तस्करों ने निशाना बनाया। ऐसे में बाघों पर संकट बढ़ गया है।

    शिकारियों की करतूत: भारत में हर साल 46 बाघों का शिकार

    देहरादून, [जेएनएन]: देश में भले ही बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा हो, मगर शिकारियों की करतूत ने पेशानी में बल डाले हैं। वर्ष 1995 से अब तक के परिदृश्य को देखें तो हर साल ही औसतन 46 बाघों को शिकारियों व तस्करों ने निशाना बनाया। ऐसे में बाघों पर संकट बढ़ गया है।

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    हालांकि, बाघ सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने के दावे अवश्य किए जाते रहे हैं, लेकिन सच ये है कि इनका शिकार भी लगातार हो रहा है। शिकारी बेखौफ हो संरक्षित एवं आरक्षित क्षेत्रों में घुसकर अपनी करतूत को अंजाम दे डालते हैं और वन महकमे बाद में लकीर पीटते रह जाते हैं।

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    बात चाहे कार्बेट टाइगर रिजर्व की हो अथवा देश के दूसरे बाघ अभयारण्यों की, सभी जगह सूरतेहाल एक जैसा ही है। भारतीय वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (डब्ल्यूपीएसआइ) के आंकड़ों पर ही गौर करें तो एक जनवरी 1995 से लेकर 22 फरवरी 2017 तक देशभर में 1020 बाघों का शिकार हुआ।

    इनमें सबसे अधिक 121 बाघों का शिकार 1995 में हुआ। इसके बाद बाघ सुरक्षा के लिए कई कदम उठाने की बात हुई, लेकिन शिकार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

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    डब्ल्यूपीएसआइ के प्रोजेक्ट मैनेजर भारत टीटू जोसफ के अनुसार इस साल ही अब तक पांच बाघों का शिकार देश के विभिन्न हिस्सों में हुआ है। उनका कहना है कि बाघ सुरक्षा के लिए सभी राज्यों के वन महकमों में बेहतर तालमेल स्थापित करने के साथ ही मिलकर कदम उठाने चाहिएं।

    देश में बाघों का शिकार

    वर्ष----------संख्या

    2007-------27

    2008-------29

    2009-------32

    2010-------30

    2011-------13

    2012-------32

    2013-------43

    2014-------23

    2015-------26

    2016-------50

    2017-------------------05 (अब तक)

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    देश में बाघ गणना

    वर्ष-----------संख्या

    2006------1411

    2010------1706

    2015------2226

    उत्तराखंड में प्रतिवर्ष छह बाघों की मौत

    देश में कर्नाटक (406) के बाद उत्तराखंड बाघों की दूसरी सबसे बड़ी पनाहगाह है। 2015 की गणना के मुताबिक यहां राष्ट्रीय पशु की तादाद 340 है। पिछले वर्षों की तुलना में यह आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन विभिन्न कारणों से इनकी मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है।

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    राज्य गठन से अब तक के कालखंड में 101 बाघों की मौत हो चुकी है। यानी, औसतन हर साल छह बाघों की मौत। बाघों की लगातार हो रही मौत से वन्यजीव प्रेमियों का चिंतित होना स्वाभाविक है। उनका कहना है कि बाघों की मृत्युदर में कमी लाने के लिए वासस्थल विकास के साथ ही चौकसी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

    उत्तराखंड में मृत बाघ

    वर्ष--------संख्या

    2007----09

    2008----03

    2009----08

    2010----06

    2011----14

    2012----05

    2013----08

    2014----06

    2015----07

    2016----06

    2017------------04 (अब तक)

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