रामनगर में वर्चस्व की जंग में बाघ ने गंवाई जान
रामनगर वन प्रभाग में आपसी संघर्ष में एक बाघ की मौत की मौत हो गई। बाघ की उम्र 9 से 10 साल के बीच बताई गई।
रामनगर, [ जेएनएन]: क्षेत्र में अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए आपसी संघर्ष में एक बाघ को आखिरकार जान गंवानी पड़ी। संघर्ष के दौरान भारी पड़े दूसरे बाघ ने उसके गले की नस क्षतिग्रस्त कर दी। जिस वजह से उसकी सांसें थम गईं। मौत की सूचना पर वन विभाग में खलबली मच गई। विभागीय अमले ने मौके पर पहुंचकर बाघ के शव का कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम के बाद शव को मौके पर ही जला दिया गया।
रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत देचौरी रेंज के भदरगड़ी नाले के समीप गुरुवार को गश्त कर रहे वनकर्मियों ने एक बाघ का शव पड़ा देखा। वनकर्मियों ने उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दी। डीएफओ नेहा वर्मा ने घटना स्थल पर पहुंचकर मौका मुआयना किया। बाघ के शरीर पर दूसरे बाघ के नाखून व जख्म के कई निशान पाए गए।
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ऐसे में माना जा रहा है कि दो बाघों के बीच जमकर हुए आपसी संघर्ष में ही बाघ को अपनी जान गवानी पड़ी। आधे किलोमीटर के दायरे में नाले, पत्थर व जमीन में मिले खून के निशान भी आपसी संघर्ष की कहानी बयां कर रहे हैं। इसके बाद दो सदस्यीय पशु चिकित्सकों के दल ने देचौरी रेंज में ही बाघ का पोस्टमार्टम किया।
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19 दिन में दो बाघ एक गुलदार की मौत
साल की शुरुआत वन्यजीवों पर भारी पड़ रही है। 19 दिन के भीतर ही तीन वन्यजीव दम तोड़ गए। साल की शुरुआत में ही रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत कालाढूंगी में एक बाघ का शव मिला था। इसके बाद छह जनवरी को तराई पश्चिमी वन प्रभाग में वाहन की चपेट में आकर गुलदार की मौत हुई थी। अब एक और बाघ मौत की नींद सो गया।
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तो दूसरा बाघ भी हुआ घायल
भले ही आपसी संघर्ष में एक बाघ की मौत हो गई, लेकिन दूसरे बाघ पर भी मौत का साया मंडरा रहा है। क्योंकि हमले में दूसरा बाघ भी घायल हुआ होगा। उसके शरीर में भी जख्म बने होंगे। ऐसे में उपचार के अभाव में घायल घूम रहा बाघ भी दम तोड़ सकता है।
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इसलिए होता है आपसी संघर्ष
नवंबर से फरवरी तक बाघों का मीटिंग सीजन चलता है। ऐसे में बाघों की अपनी एक सीमा निर्धारित होती है। उस सीमा को कब्जाने के लिए अन्य क्षेत्र से आया बाघ व पहले से मौजूद बाघ के बीच संघर्ष होता है। इसके अलावा मीटिंग सीजन भी आपसी संघर्ष की वजह बनता है।
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