स्मार्ट सिटी: ऐन वक्त पर सूची से बाहर हुआ दून!
स्मार्ट सिटी योजना के तीसरे चरण में भी दून को जगह न मिल पाने से भले ही निराशा हुई हो, लेकिन बताया जा रहा है कि सूची में दून का नाम दर्ज था। ...और पढ़ें

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: स्मार्ट सिटी योजना के तीसरे चरण में भी दून को जगह न मिल पाने से भले ही निराशा हुई हो, लेकिन बताया जा रहा है कि सूची में दून का नाम दर्ज था। ऐन वक्त पर नाम सूची से बाहर कर दिया गया। शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। सूची में नाम होने के कारण कुछ दिन पहले स्मार्ट पोल लगाने वाली कंपनी ने शासन से 10 पोल डेमो के तौर पर नि:शुल्क लगाने की पेशकश भी की थी। गौरतलब है कि दूसरे चरण में 54 अंक हासिल कर चुके दून को इस बार सिर्फ दो अंक और लाने थे।
सूत्रों के अनुसार कुछ दिन पहले स्मार्ट पोल लगाने वाली कंपनी के एक बड़े अधिकारी ने शासन से संपर्क किया और जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी के तीसरे चरण की सूची तैयार कर ली गई है और इसमें दून का नाम भी है। इस आधार पर उन्होंने पेशकश की कि कंपनी 10 स्मार्ट पोल डेमो के तौर पर नि:शुल्क लगाने को तैयार हैं। हालांकि संबंधित अधिकारी ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा था कि जब तक इसकी आधिकारिक
जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक इस दिशा में कोई भी कदम उठाना जल्दबाजी होगा।
उत्तराखंड शासन को यह सूचना भी मिली कि स्मार्ट सिटी की नई सूची शहरी विकास मंत्री को तीन सप्ताह पहले मिल गई थी। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब शहरों का चयन मेरिट के आधार पर किया जाना था तो सूची क्यों इतने दिन दबाकर रखी गई। सवाल तब और गहरा जाता है, जब दून अपनी मंजिल से महज दो अंक पीछे होकर भी चयनित नहीं हो पाया। फिलहाल, उत्तराखंड शासन के अधिकारी भी जवाब के इंतजार में हैं।
'स्वप्न लोक' की चाह में टूटा ख्वाब!
दून में स्मार्ट पोल (एक ही पोल में स्ट्रीट लाइट, मोबाइल टावर, वाईफाई हब, सीसीटीवी कैमरे आदि), ग्रीन ट्रांसपोर्ट, पैदल जोन, वाटर एटीएम जैसी सुविधाओं की फेहरिस्त। भूभाग छोटा हो तो किसी भी सरकार के लिए ये काम मुश्किल नहीं। मगर दून जैसा शहर एक साथ 4300 एकड़ के क्षेत्रफल में ये सभी सुविधाएं विकसित करने का दावा करे तो यकीन मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि फास्ट ट्रैक प्रतियोगिता में 31 मई 2016 के परिणाम में दून को बाहर का रास्ता दिखा दिया। साथ ही केंद्र सरकार ने योजना का आकार घटाकर दोबारा प्रस्ताव भेजने को कहा इस बार योजना का आकार घटाकर 875 एकड़ किया गया, मगर नए प्रस्ताव पर कसरत को बेहद कम समय मिला और स्मार्ट सिटी योजना में दून की हसरत फिर धूमिल हो गई।
एक बार फिर दून नाकामी की समीक्षा में जुट गया है। अधिकारी इसका ठीकरा के लिए मिले कम समय पर फोड़ते दिख रहे हैं। बेशक फास्ट ट्रैक प्रतियोगिता के 31 मई 2016 को आए परिणाम और फिर 30 जून को भेजे गए संशोधित प्रस्ताव के बीच करीब एक माह का ही समय मिला, लेकिन इसके अल्प समय के लिए भी हमारा ही सिस्टम दोषी है। गंभीर यह कि स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता के पहले चरण से लेकर तीसरे चरण तक ऐसी ही कमियों के चलते दून को स्मार्ट बनाने का ख्वाब अब तक अधूरा ही है।
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नाकामियों की फेहरिस्त में दून
प्रारंभिक चरण: शुरुआत में शहरी विकास विभाग के अफसरों ने कार्यशालाओं में भाग लिया। इसके बाद अचानक स्मार्ट सिटी की कमान शहरी विकास सचिव की जगह आवास सचिव को सौंप दी गई। ऐसे में शुरुआती तैयारियां जल्दबाजी में पूरी की गई।
योजना का चयन: स्मार्ट सिटी की परिभाषा को ठीक से समझे बिना सरकार ने चाय बागान की जमीन पर ग्रीनफील्ड का विकल्प अपनाया।
पहले चरण में नाकामी: स्मार्ट सिटी के टॉप 20 शहरों में नाम आना तो दूर, कुल 98 शहरों में 38.23 अंकों के साथ दून को आखिरी स्थान मिला।
फास्ट ट्रैक प्रतियोगिता में चूके: इसके बाद फास्ट ट्रैक प्रतियोगिता में 23 शहरों के साथ प्रतिभाग करने का मौका मिला। पुरानी चूक से सीख लेकर नोडल अधिकारी आर मीनाक्षी सुंदरम ने ग्रीनफील्ड के विकल्प को त्याग जोन चार की रेट्रोफिटिंग का निर्णय लिया। इसके तहत 3788 एकड़ क्षेत्रफल को स्वप्न सरीखा स्वरूप देने के लिए तमाम सुविधाओं को प्रस्ताव का हिस्सा बनाया गया। दून के आकार और प्रस्ताव के विस्तार को देखते हुए केंद्र ने फिर दून को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि पहले की अपेक्षा नंबर अच्छे थे। दून को कुल 54 अंक मिले।
जिम्मेदारों की टिप्पणी
'प्रस्ताव फुलप्रूफ था। फिर भी दून का चयन न हो पाने के पीछे सरकार की अनदेखी ही है। स्मार्ट सिटी जैसी योजना को एक अफसर के भरोसे है। न सीएम ने सुध ली, न ही मुख्य सचिव ने।'
विनोद चमोली, मेयर (देहरादून नगर निगम)
'चयन न होना समझ से परे है। हमने रात-रातभर जागकर मेहनत की। सिर्फ दो अंक ही चाहिए थे। केंद्र से रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि चूक कहां रही। अब जून में अगली सूची में प्रस्ताव भेजा जाएगा। प्रयास रहेंगे कि दून का चयन हो जाए।Ó
-आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव आवास व नोडल अधिकारी स्मार्ट सिटी
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स्मार्ट सिटी और आपदा का क्या नाता
स्मार्ट सिटी में चयनित शहरों के नामों की घोषणा करते हुए शहरी विकास मंत्री वैकया नायडु शहरों के प्रदर्शन पर टिप्पणी भी कर रहे थे। उत्तराखंड की बारी आई तो शहरी विकास ने कहा कि प्रदेश प्राकृतिक आपदा का सामना भी कर रहा है। उनका आशय यह था कि प्राकृतिक आपदा के चलते दून स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता में जगह नहीं बना पाया। इस टिप्पणी पर स्मार्ट सिटी के नोडल अधिकारी आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि दून में ऐसे कोई विकट हालात नहीं थे और प्रस्ताव पर पूरा ध्यान दिया गया।

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