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    पंचायत व्यवस्था में बदलाव का उत्तराखंड ने किया विरोध

    By gaurav kalaEdited By:
    Updated: Sat, 16 Jul 2016 09:39 PM (IST)

    अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को द्विस्तरीय करने के पंछी आयोग के सुझावों से असहमति जाहिर की है।

    दिल्ली, [जेएनएन]: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में मौजूदा त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को द्विस्तरीय करने के पंछी आयोग के सुझावों से असहमति जाहिर की है। वहीं राज्यों में केंद्र की ओर से स्वत: केंद्रीय सुरक्षा बल भेजे जाने का भी विरोध किया है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड इस संदर्भ में संविधान में संशोधन कर वर्तमान पंचायती राज प्रणाली में बदलाव के खिलाफ है। उन्होंने उत्तराखंड में हाल ही में आई आपदा में हुई भारी क्षति के मद्देनजर केंद्र सरकार से विशेष सहायता मांगी है।

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    प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में उत्तराखंड का पक्ष रखते हुए हरीश रावत ने कहा कि मौजूदा त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था जनाकांक्षाओं और क्षेत्रीय विकास के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि राज्य में जिलों का आकार छोटा है जिसकी वजह से जिलाधिकारी अपने कार्य के साथ-साथ जिला योजना के कार्यो को कुशलता से कर रहे हैं। इसलिए इसमें भी बदलाव की जरूरत नहीं है।
    रावत ने कहा कि राज्यों में केंद्रीय बल की उनसे सलाह किए बिना तैनाती संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगी और इससे दुरुपयोग की आशंका बनी रहेगी। इसलिए केंद्रीय बलों की तैनाती की मौजूदा व्यवस्था को ही बनाए रखा जाए।
    पर्यावरण, पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन विषयों को समवर्ती सूची में ही रखा जाए, संघीय सूची में नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंछी आयोग ने केवल पिछड़े राज्यों को ही अधिक विशेष सहायता देने की सिफारिश की है। लेकिन उनका मानना है कि पर्वतीय, सीमांत और नवगठित राज्यों को भी इस सहायता के दायरे में रखना चाहिए। वहीं राज्यों को केंद्र से मिलने वाले हिस्से के संबंध में रावत ने कहा कि गाडगिल फार्मूले के तहत चरणबद्ध रूप से इसमें बढ़ोतरी होती रहनी चाहिए।

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    उत्तराखंड में हाल में भारी बारिश और भूस्खलन से हुए जान-माल की बड़ी क्षति की जानकारी देते हुए रावत ने कहा कि हमने प्रदेश के सर्वाधिक संवेनदशील आपदा वाले 400 गांवों को चिह्नित किया है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से लोगों के विस्थापन की चुनौती है और इसमें केंद्र सरकार को विशेष सहायता करनी चाहिए।
    मुख्यमंत्री के मुताबिक हालिया आपदा में दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इस बारे में वह केंद्र को अलग से प्रतिवेदन देकर सहायता की मांग करेंगे। उन्होंने राज्य में पुलिस आधुनिकीकरण मद में केंद्रीय सहायता कम होने की बात उठाते हुए राज्य की सुरक्षा स्थितियों से भी परिषद को रूबरू कराया।

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