गंभीर चुनौती बनीं बादल फटने की घटनाएं : सीएम हरीश रावत
उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाओं पर सीएम हरीश रावत ने चिंता जाई। कहा यह अब एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आ रही है। इस पर वैज्ञानिक इस पर शोध करें।
पिथौरागढ़, [जेएनएन]: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं गंभीर चुनौती के रूप में सामने आ रही हैं। अब इस पर गहन वैज्ञानिक शोध की जरु रत है। उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाओं का पुर्वानुमान लगाने के लिए केंद्र सरकार को चार डाप्लर रडार देने की मांग भेज दी है।
मुख्यमंत्री बीती देर सायं आपदा प्रभावित बस्तड़ी गांव में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बादल फटने की घटनाएं ऐसे स्थानों पर ज्यादा हो रही हैं जहां आस-पास घने जंगल हैं। उन्होंने मालपा, ला-झेकला का उदाहरण देते हुए कहा कि ये सभी क्षेत्र घने जंगलों के आसपास है। देश को प्राण वायु देने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन को सोखने वाले जंगल क्यों स्थानीय लोगों के लिए समस्याएं खड़ी कर रहे हैं इस पर गहन वैज्ञानिक शोध होना चाहिए।
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वैज्ञानिकों को इस दिशा में गंभीरता से सोचकर समाधान निकालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश में स्थित वैज्ञानिक संस्थाओं से इस मसले पर वार्ता करेंगे। सरकार इस पर कमेटी बनाने पर भी विचार करेगी। उन्होंने कहा अब समय आ गया है कि मौसम का पुर्वानुमान लगाने के लिए राज्य में सटीक व्यवस्था हो। सरकार प्रदेश के चार संवेदनशील जिलों में डाप्लर रडार लगाने पर विचार कर रही है।
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इसके लिए केंद्र सरकार से डाप्लर रडार उपलब्ध कराए जाने की मांग की गई है। रडारों की स्थापना के बाद बादल फटने जैसी घटनाओं का पुर्वानुमान लगाया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने वार्ता के दौरान जहां एक और वैज्ञानिक चेतना पर जोर दिया वहीं दूसरी ओर यह कहने से भी नहीं चूके कि राज्य की प्रगति को देखकर इसे बुरी नजर लग रही है। उन्होंने कहा कि भगवान राज्य को बुरी नजर से बचाए।
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