चायवाले के भाई ने पकड़ी आइआइटी की राह
जेईई मेन में ऑल इंडिया 2205 रैंक हासिल करने वाले अंकित जैन के लिए हालात कभी भी अनुकूल नहीं थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत करते रहे।
देहरादून, [जेएनएन]: कहते हैं मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। जेईई मेन में ऑल इंडिया 2205 रैंक हासिल करने वाले अंकित जैन के लिए हालात कभी भी अनुकूल नहीं थे। सिर से पिता का साया तब उठ चुका था, जब वह अबोध थे। बड़े भाई अमित जैन भी उस वक्त महज पांचवीं क्लास में थे। परिवार पर अचानक आए इस संकट से उबरने के लिए अमित ने पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पिता की चाय की दुकान संभाल ली।
हालांकि अमित को यह गवारा न था कि उनका छोटा भाई भी चाय की दुकान चलाए। उनका सपना था अंकित खूब पढ़े-लिखे। अंकित ने भी मन में ठान ली थी कि वह हालात से समझौता नहीं करेंगे। राह में जो मुश्किलें खड़ी थी, उन्हें ही जीत का जरिया बना लिया।
एसजीआरआर तालाब से 96 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण करने वाले अंकित मुफलिसी से लड़कर इस मुकाम तक पहुंचे हैं। जिसमें उनके खेवनहार बने बड़े भाई अमित। महज ग्यारह साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़ बैंड बाजार में चाय की दुकान चलानी शुरू की। इसी कमाई से घर चलाया और भाई को अच्छी शिक्षा दी। शायद इसलिए कि पढ़ाई का मोल वह जानते थे।
उनकी इस तपस्या का ही फल है कि अंकित ने खुद को श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ साबित किया। सीमित संसाधनों ने उन्हें कमजोर नहीं किया बल्कि लड़ते रहने का जज्बा दिया। गत वर्ष उनके जेईई मेन में 150 नंबर थे, लेकिन अच्छा कॉलेज नहीं मिला। इस बार और मेहनत की और 251 अंक हासिल किए। भाई अमित अपना सपना उनकी आंखों में सच होता देख रहे हैं।
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