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    उत्‍तराखंड: भागीरथी जोनल प्लान में होगा बदलाव

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Fri, 23 Sep 2016 11:25 AM (IST)

    राज्य सरकार की ओर से अब भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का संशोधित जोनल मास्टर प्लान केंद्र को भेजा जाएगा। ...और पढ़ें

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    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य सरकार की ओर से अब भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का संशोधित जोनल मास्टर प्लान केंद्र को भेजा जाएगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। संशोधित जोनल प्लान में भागीरथी इको सेंसिटिव जोन की वर्तमान स्थिति के साथ ही आगामी पांच से 15 वर्ष तक का प्लान भी शामिल किया जाएगा। शासन ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक प्रोजेक्ट जयराज की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटी गठित कर दी है। कमेटी दस अक्टूबर तक संशोधित जोनल प्लान शासन के समक्ष पेश करेगी।

    बीती 31 अगस्त को केंद्रीय वन पर्यावरण की एक्सपर्ट कमेटी राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए जोनल मास्टर प्लान में संशोधन के निर्देश राज्य सरकार को दिए थे। कमेटी का कहना था कि राज्य सरकार ने जोनल प्लान में मौजूदा कार्यक्रमों व विभागों की नियमित गतिविधियों को ही शामिल किया है। अलबत्ता, इसमें भविष्य की जरूरतों के अनुसार अगले पांच से 10 व 15 वर्षों का भी प्लान शामिल होना चाहिए, जो स्थानीय लोगों की आजीविका व विकास योजनाओं को पूरा करे।

    एक्सपर्ट कमेटी के उक्त निर्देश पर प्रदेश सरकार ने इसके लिए कमेटी गठित करते हुए संशोधित जोनल प्लान बनाने के लिए 10 अक्टूबर तक का समय दिया है। साथ ही, इसके बाद संशोधित प्लान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा, ताकि केंद्र सरकार संशोधित प्लान को तय समय के भीतर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत कर सके।
    गौरतलब है कि एनजीटी ने 20 सितंबर के अपने आदेश में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को चार हफ्ते में भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

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    10 परियोजनाओं पर जगी उम्मीद
    भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में पड़ने वाली 82.3 मेगावाट की 10 जलविद्युत परियोजनाओं पर एक बार फिर नई उम्मीद जगी है। उक्त परियोजनाएं 25 मेगावाट से कम क्षमता की हैं। दरअसल, राज्य सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी समक्ष यह मुद्दा उठाते हुए इन परियोजनाओं के बंद होने से राज्य को 17 हजार करोड़ के निवेश अवसर से हाथ धोना पड़ेगा। साथ ही, इससे प्रदेश को 2000 करोड़ के राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ेगा। चूंकि, उक्त सभी दस परियोजनाएं 25 मेगावाट से कम क्षमता की हैं, जो केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय 'व्हाइट' कैटेगरी में आती हैं।

    साथ ही, उनकी मंजूरी इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना से पहले ही मिल चुकी थी। लिहाजा, इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए अधिसूचना में शिथिलता दी जानी चाहिए। एक्सपर्ट कमेटी ने राज्य सरकार की इस मांग पर विचार करने की बात कही है। साथ ही, इस संबंध में निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को तत्काल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुरूप धारक क्षमता का अध्ययन कराने के भी निर्देश दिए।

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