क्या आप जानते हैं कि 54 लाख साल पहले मानव का वजन था डेढ़ किलो
गुजरात के सूरत शहर में वास्तान कोयला खदान में मिले मानव जीवाश्म क्रमिक विकास की नई अवधारणा को जन्म देते दिख रहे हैं। पता चला कि 54 लाख पहले मानव का वजन डेढ़ किलो के करीब था।
देहरादून, [जेएनएन]: गुजरात के सूरत शहर में वास्तान कोयला खदान में मिले मानव जीवाश्म क्रमिक विकास की नई अवधारणा को जन्म देते दिख रहे हैं। खदान में मिले जीवाश्मों के अध्ययन में पता चला कि 54 लाख पहले मानव का वजन डेढ़ किलो के करीब था।
उस समय मानव बोल पाने में भी असमर्थ था। यह जानकारी कोयला खदान में वर्ष 2006 से कशेरुकी जीवाश्मों पर अध्ययन कर रहे दल के सदस्य वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. किशोर कुमार ने दी।
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डॉ. किशोर कुमार के मुताबिक वास्तान कोयला खदान में मिले जीवाश्मों की अवधि देश में अब तक मिले जीवाश्मों में सबसे पुरानी है। इस लिहाज से इन्हें क्रमिक विकास की गुत्थी को समझाने में बेहद मददगार माना जा सकता है।
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डॉ. किशोर ने बताया कि खदान में जो मानव जीवाश्म मिले, वह प्राइमेट्स वर्ग के थे। इन्हें स्तनपायी प्राणियों में सवरेच श्रेणी का जीव माना जाता है। इन जीवाश्म का आइसोटोपिक, स्ट्रेटीग्राफिक आदि अध्ययन किया गया। पता चला कि उस समय मानव का कुल वजन ही डेढ़ किलो के आसपास होता था।
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खदान में मिले जीवाश्मों में गाय, भैंस, घोड़ा जैसे पशुओं के जीवाश्म भी मिले। इससे यह भी निष्कर्ष निकलता है कि उस समय भी मानव व पशुओं के बीच गहरा संबंध था। जिस तरह आज मनुष्यों के आसपास मांसाहारी जीव मिलते हैं, उस समय भी उनकी मौजूदगी मानव जाति के आसपास ही थी। ऐसे कई मांसाहारी कशेरुकी जीवों के जीवाश्म भी खदान में मिले हैं।
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मानव विकास के कई और रहस्य खुलेंगे
वास्तान कोयला खदान में वर्ष 2002 से काम कर रहे एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगर्भविज्ञानी डॉ. राजेंद्र सिंह राणा ने बताया कि अध्ययन दल में देश के साथ ही विभिन्न देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं। जीवाश्मों पर अध्ययन अभी जारी है। जल्द यह भी पता चल पाएगा कि मानव व उत्थान व उनका प्रस्थान/पलायन का क्रम की दिशा क्या रही।
खदान में मिले मानव जीवाश्म
जबड़े, रीढ़ की हड्डी, हाथ की हड्डी, टखने की हड्डी, नाखून आदि।
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