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    इस युवक के जज्बे को सलाम, 16 किमी. पैदल चलकर पहुंचा रक्तदान करने

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 12 Aug 2016 07:00 AM (IST)

    रक्तदान महादान है, यह बात तो हर किसी की जुबां से सुनने को मिल जाती है। चमोली गढ़वाल में एक युवक दुर्गम रास्तों से 16 किलोमीटर पैदल चलकर रक्तदान करने पहुंचा।

    गोपेश्वर, [हरीश बिष्ट]: रक्तदान महादान है, यह बात तो हर किसी की जुबां से सुनने को मिल जाती है। लेकिन, जब कोई अनजान व्यक्ति भरी बरसात में मीलों की दूरी पैदल नापकर किसी को जिंदगी देने के लिए रक्तदान करने पहुंचे तो तब इस नारे की अहमियत समझ में आती है।
    ऐसा ही वाकया जिला अस्पताल गोपेश्वर में साकार हुआ, जहां एक महिला की जान बचाने के लिए सुदूरवर्ती गांव डुमक से एक 32 वर्षीय बेरोजगार युवक 16 किलोमीटर पैदल चलकर रक्तदान करने पहुंचा। वह भी ऐसे मौसम में जब बारिश के चलते कदम-कदम पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।

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    जोशीमठ विकासखंड के सलूड़ डुंग्रा गांव निवासी 30 वर्षीय विशेश्वरी देवी पत्नी कुंदन सिंह यहां जिला अस्पताल में भर्ती हैं। चिकित्सकों ने उनके पित्त की थैली में पथरी बताते हुए परिजनों को आपरेशन कराने की सलाह दी थी। लेकिन, आपरेशन से पहले रक्त चढ़ाया जाना जरूरी था।
    महिला का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है, लेकिन अस्पताल में इस ग्रुप का रक्त नहीं था। इतना ही नहीं, परिजनों को गोपेश्वर शहर में भी ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला, जिसका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव हो। ऐसे में उनका परेशान होना लाजिमी था।

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    इसी बीच महिला के परिजन विजय सिंह बिष्ट ने बताया कि उसके सहपाठी राजेंद्र सिंह भंडारी का यही ब्लड ग्रुप है। लेकिन, वह सुदूरवर्ती गांव डुमक में रहता है, जहां के लिए सड़क तक नहीं। संयोग से राजेंद्र का मोबाइल नंबर भी मिल गया।
    विजय ने राजेंद्र से संपर्क कर उसे महिला की स्थिति से अवगत कराया तो वह रक्तदान के लिए तैयार भी हो गया। इसके बाद राजेंद्र डुमक से 16 किलोमीटर की दूरी पैदल नापकर झिंगराण के पास कुजौं और फिर वहां से 20 किलोमीटर का सफर वाहन में कर जिला अस्पताल पहुंचा।
    राजेंद्र के रक्तदान करने के बाद विशेश्वरी के परिजनों ही नहीं, चिकित्सकों के भी चेहरे खिल उठे। बता दें कि हाईस्कूल पास राजेंद्र फिलहाल बेरोजगार है और उसने रक्तदान भी पहली बार किया।

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    राजेंद्र के अनुसार रक्तदान करने से शरीर में खून की कमी नहीं होती, बल्कि पुण्य मिलता है। उसने बताया कि किसी का जीवन बचाने में जो सुख है, वह और किसी कार्य में नहीं।
    डुमक नहीं पहुंची आज तक सड़क
    रक्तदान कर महिला की जान बचाने वाले युवक राजेंद्र सिंह भंडारी के गांव डुमक तक आजादी के 69 साल बाद भी सड़क नहीं पहुंच पाई है। नतीजा, रोड हेड तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को 16 किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी पड़ती है। बिजली भी इस गांव में 2015 में पहुंच पाई थी।
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