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स्वर्गारोहिणी की पहाड़ी पर उभरी हनुमान की आकृति, बना कौतूहल का विषय

श्री बदरीनाथ धाम से 14 किमी दूर सतोपंथ जाने वाले मार्ग में पहाड़ी पर उभरी हनुमान की आकृति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है।

By sunil negiEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2016 08:33 AM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 02:00 AM (IST)
स्वर्गारोहिणी की पहाड़ी पर उभरी हनुमान की आकृति, बना कौतूहल का विषय

गोपेश्वर, [जेएनएन]: श्री बदरीनाथ धाम से 14 किमी दूर सतोपंथ जाने वाले मार्ग में पहाड़ी पर उभरी हनुमान की आकृति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इसे देखने लगातार लोग वहां पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्होंने चट्टान पर पहली बार ऐसी आकृति देखी है। हालांकि, वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान देहरादून के निदेशक प्रो.अनिल के. गुप्ता का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के साथ चट्टानों पर आकृतियां बनती-बिगड़ती रहती हैं। यह भी इसी तरह का मामला है।

बदरीनाथ से सतोपंथ स्वर्गारोहिणी की यात्रा 30 किमी दूरी पैदल तय कर की जाती है। यह अपने आप में दिव्य स्थल है। लेकिन, इस बार सतोपंथ मार्ग में बदरीनाथ से 14 किमी दूर सहस्रधारा के सामने पहाड़ी की चोटी पर एक ऐसी आकृति नजर आ रही है, जो हनुमान के चेहरे जैसी प्रतीत होती है। इसके सिर पर मुकुट भी विराजमान है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले चोटी पर बर्फ रहती थी, इसलिए आकृति जैसी कोई बात सामने नहीं आई। लेकिन, इस बार यात्रियों ने बदरीनाथ आकर उन्हें पहाड़ी पर आकृति दिखाई देने की जानकारी दी।

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स्थानीय लोगों के वहां जाने के बाद चर्चा होने लगी कि आकृति हनुमान की है। अब स्थिति यह है कि बदरीनाथ धाम जाने वाले कई वहां पहुंच रहे हैं। यही वजह है कि इस बार सतोपंथ की यात्रा में भी तेजी दिखाई दे रही है। हालांकि, माणा से आगे प्रशासन की अनुमति से ही यात्री जा सकते हैं। लेकिन, इन दिनों बिना अनुमति के ही यात्री हनुमान के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि बद्रिकाश्रम क्षेत्र में कण-कण में भगवान विराजमान हैं। हनुमान की आकृति दिखाई देना भी इस भूमि के देवभूमि होने का प्रमाण है।

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उधर, बदरीनाथ नगर पंचायत सलाहकार समिति के अध्यक्ष राजेश मेहता का कहना है कि सरकार को इस स्थान पर यात्रा चलाने के इंतजाम करने चाहिए। मंदिर समिति को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए। ताकि हनुमान भक्त प्राकृतिक हनुमान की आकृति के दर्शन कर इस पावन भूमि के महात्म्य से परिचित हो सकें।

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