बल्लियों के सहारे हो रही विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी की सैर
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी की सैर बल्लियों के सहारे करायी जा रही है। तीन किलोमीटर दूर उफनती प्रियदर्शनी नदी पर पर्यटक जान जोखिम में डाल बल्लियों पर चलकर नदी पार कर रहे है।
गोपेश्वर, चमोली, [हरीश बिष्ट]: इन दिनों विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी की सैर बल्लियों के सहारे करायी जा रही है। घाटी के प्रवेश द्वार से तीन किलोमीटर दूर उफनती प्रियदर्शनी नदी पर पर्यटक जान जोखिम में डाल लकड़ी की बल्लियों पर चलकर नदी पार कर रहे हैं।
हैरत यह है कि आज तक कभी पार्क प्रशासन ने यहां पर पुल बनाने की जहमत नहीं उठायी। अब भी कहा नहीं जा सकता कि पुल कब बनेगा। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने बताया कि प्रियदर्शनी नदी पर पुल निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी।
पढ़ें: इस बार प्रतिकूल मौसम में भी महक रही फूलों की घाटी
87.50 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त है। 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। करीब पांच सौ प्रजाति के फूलों से महक रही घाटी को निहारने हर साल हजारों सैलानी आते हैं।
बावजूद इसके घाटी की देखरेख की जिम्मेदारी उठा रहा नंदा देवी पार्क प्रशासन सैलानियों से शुल्क भले ही वसूल रहा हो, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर बेपरवाह बना हुआ है।
पढ़ें: बाबा केदार के दर्शन को आने वाले यात्रियों को नहीं होगी परेशानी, ये हुई व्यवस्था...
पढ़ें: केदारनाथ धाम में धूमधाम से मनाया अन्नकूट मेला
बदरीनाथ के निकट गोविंदघाट से 13 किलोमीटर की दूरी पैदल नापकर घांघरिया पहुंचा जाता है और यहां से तीन किलोमीटर दूर से फूलों की घाटी।
प्रवेश द्वार से तीन किलोमीटर आगे बह रही प्रियदर्शनी नदी इन दिनों उफान पर है। हर बार बरसात में पार्क प्रशासन नदी में लकड़ी की बल्लियां डाल देता है। घाटी में गाइड का कार्य करने वाले भुवनेश नंबूरी ने बताया कि पर्यटक प्रियदर्शनी नदी पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। मैं स्वयं वन विभाग से कई बार यहां पर पुल बनाने की गुहार लगा चुका हैं। पर्यटक भी पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं।
पढ़ें: केदारनाथ मंदिर की है अनोखी कहानी, भूमि में समा गए थे शिव