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    जिस बिच्छू घास को छूने से कांपती है रूह, उससे बनी चाय की लें चुस्की, जानिए..

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 18 Jun 2016 11:36 AM (IST)

    पहाड़ की एक घास (बिच्छू घास) जो बदन पर लग जाए तो खुजली के मारे जान निकल जाती है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि यह घास चाय की मीठी चुस्की भी दे सकती है।

    अल्मोड़ा, [सर्वेश तिवारी]: पहाड़ की एक घास (बिच्छू घास) जो बदन पर लग जाए तो खुजली के मारे जान निकल जाती है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि यह घास चाय की मीठी चुस्की भी दे सकती है। ठंड में आपके बदन को गर्म रखने के लिए भी तैयार है।

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    हालांकि अभी इसका ज्यादा प्रचलन न हो पाने की वजह से आज तक यह उत्पाद अपने ही घर में दम तोड़ रहे हैं। अब जिला सहकारी बैंक ने सहकारी कौतिक-2016 के जरिये कंडाली (बिच्छू घास) के उत्पादों को एक बाजार देने जा रहा है। जो 19 जून से गुरूड़ाबाज में शुरू होना और इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री हरीश रावत और विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल करेंगे।

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    अब वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ की बिच्छू घास सीमा पार भी अपनी धूम मचाएगी और पहाड़ के कास्तकार मालामाल होंगे। बिच्छू घास से बनी चाय को भारत सरकार के एनपीओपी (जैविक उत्पादन का राष्ट्रीय उत्पादन) ने प्रमाणित किया है।

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    इस ग्रीन टी को बिच्छू घास के अलावा पिरुल, बुरांश, तुलसी और चीड़ की पत्तियां से तैयार किया गया है। जो बागेश्वर स्थित हिमालयन ऑग्रेनिक औदोगिक उत्पादन सहकारी समिति में निर्मित है। खास बात यह है कि इस चाय के औषधीय लाभ भी है। बताते है कि बिच्छू घास में जोड़ों के रोग से लड़ने की असीमित क्षमता होती है।
    बिच्छू घास से कृषकों ने शॉल भी तैयार कर ली है। इसे भी मेले में शामिल किया जा रहा है। बताते है कि बिच्छू घास यानि नेटल ग्रास के रेशे से धागे तैयार किए है। इससे यह शॉल तैयार की गई है।

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    इसके अलावा मेले में मिट्टी की मूर्तियां मिलेंगी। जो खास उधमसिंहनगर जिले के कुम्हारों द्वारा तैयार की गई हैं। पत्थर की चक्की, कपड़े और रुई से तैयार उत्पाद भी मेले में आकर्षण का केंद्र होंगे।
    पहाड़ी उत्पादों को मिलेगा बाजार
    जिला सहकारी बैंक अल्मोड़ा के अध्यक्ष प्रशांत भैसोड़ा के मुताबिक इस मेले के पहाड़ के कास्तकारों को बाजार दिलाया जाएगा। लोग मसाला डोसा के बारे में तो जानते है, लेकिन हमारा प्रयास है कि लोग भट्ट की चुड़कानी और झिगोरे की खीर के बारे में भी जाने। मसाला डोसा की तरह पहाड़ी व्यंजन, हसत शिल्प को भी पहचान मिले।

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    व्यंजन के साथ पहाड़ी खेल-कूद भी
    मेले में पहाड़ी व्यंजन के साथ पहाड़ी खेल-कूद को भी पहचान दिलाने की तैयारी है। मुख्य कार्यक्रम समन्वयक डॉ.अरविंद जोशी ने बताया कि मेले में गुल्ली डंडा, खो-खो, कबड्डी, मुर्गा झपट, बाघ बकरी सहित कई अन्य खेलों का आयोजन कराया जाएगा। जो मेले में आने वाला हर व्यक्ति खेल सकता है। मेले में कुल 40 स्टॉल लगाए जाएंगे। एक स्टाल पहाड़ के युवाओं के लिए होगा। जिसके जरिये उनकी कॅरियर काउंसलिंग की जाएगी।

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